बगदाद: इराकी अधिकारियों को 38 भारतीय कामगारों के शव उस समय मिले थे जब तीन साल से अधिक समय पहले इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने उत्तरी शहर मोसुल पर कब्जा कर लिया था. अधिकारियों ने आज इसकी जानकारी दी. भारतीयों के शवों को मोसुल से उत्तर पश्चिम में स्थित बादुश गांव के नजदीक उस इलाके में दफनाया गया जिसपर बीते जुलाई में इराकी सेनाने दोबारा कब्जा कर लिया था.


इराकी अधिकारी नाजिहा अब्दुल अमीर अल शिमारी ने संवाददाताओं से कहा कि ये हत्याएं आईएस आतंकवादियों द्वारा किया गया जघन्य अपराध था. इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में मारे जाने वाले लोगों से निपटने वाली सरकारी संस्था के प्रमुख नाजिहा ने कहा, ‘‘ ये शव भारतीय नागरिकों के थे. उनकी गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए थी लेकिन बुरी ताकतें इस्लाम के सिद्धांतों का अपमान करना चाहती हैं.’’


अगवा किए गए ये कामगार मोसुल के समीप एक निर्माण कंपनी में काम कर रहे थे और उसी दौरान आतंकवादियों ने इस इलाके के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था. उस समय करीब 10,000 भारतीय इराक में काम कर रहे और रह रहे थे. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद को बताया कि बदूश में एक सामूहिक कब्र से खोद कर निकाले गए इन शवों की डीएनए जांच की गई जिसके बाद इन भारतीयों की पहचान हो सकी. उन्होंने ने कहा कि कब्र में 39 शव मिले लेकिन एक शव की डीएनए जांच की पूरी तरह पुष्टि नहीं हो सकी है.