इंडिगो संकट के कारण देश की हवाई सेवाओं में बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द हुई हैं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसी स्थिति को देखते हुए उड्डयन मंत्रालय ने किरायों में बढ़ोतरी और रिफंड को लेकर सख्त कदम उठाए हैं, ताकि यात्रियों को राहत मिल सके.
किरायों पर सरकार का नियंत्रणकुछ एयरलाइंस द्वारा अचानक किराया बढ़ाए जाने पर मंत्रालय ने चिंता जताई और सभी प्रभावित रूट्स पर किराया सीमा लागू कर दी है. अब एयरलाइंस बिना किसी अपवाद के तय किराया सीमा का पालन करेंगी और यह नियम तब तक लागू रहेगा जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती. मंत्रालय ने साफ किया है कि इस कदम का उद्देश्य बाजार में मूल्य अनुशासन बनाए रखना और संकट की स्थिति में यात्रियों से मनमाना किराया वसूलने की रोकथाम करना है. सरकार ने यह भी कहा है कि जो एयरलाइन इस नियम का पालन नहीं करेगी, उसके खिलाफ तुरंत नियामकीय कार्रवाई की जाएगी.
रिफंड और रीबुकिंग पर कड़े निर्देशउड़ानों के रद्द होने के बाद यात्रियों द्वारा बड़ी संख्या में रिफंड की शिकायतें दर्ज कराई जा रही थीं, जिसके बाद मंत्रालय ने इंडिगो को निर्देश दिया है कि वह सभी लंबित रिफंड 7 दिसंबर 2025 रात 8 बजे तक अनिवार्य रूप से पूरा करे. इसके साथ ही एयरलाइंस को यह भी आदेश दिया गया है कि जिन यात्रियों की यात्रा रद्द या प्रभावित हुई है, उनसे किसी भी प्रकार का रीबुकिंग या रीस्ड्यूलिंग चार्ज नहीं लिया जाएगा. मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि रिफंड प्रक्रिया में देरी होने या आदेश का पालन न करने की स्थिति में एयरलाइन के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी.
यात्रियों की सुरक्षा और राहत सरकार की प्राथमिकतासरकार ने कहा है कि इस फैसले का मुख्य उद्देश्य संकट में फंसे यात्रियों को राहत देना है, जिसमें वरिष्ठ नागरिक, छात्र, मरीज और वे लोग शामिल हैं जिन्हें आपात स्थिति में यात्रा करनी पड़ती है. सरकार का कहना है कि इस स्थिति में यात्रियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालना उचित नहीं है. मंत्रालय ने बताया कि वह एयरलाइन किरायों और रिफंड प्रक्रियाओं की रियल-टाइम मॉनिटरिंग कर रहा है. इसके लिए एयरलाइंस और ऑनलाइन टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म्स के साथ निरंतर समन्वय किया जा रहा है, ताकि किसी अनियमितता को तुरंत पकड़ा जा सके और उस पर कार्रवाई की जा सके.