US Deportation News: अमेरिका से 116 अवैध प्रवासियों को लेकर एक विमान शनिवार (15 फरवरी 2024) देर रात अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा. बेहतर जीवन के लिए इन लोगों ने अमेरिका में बसने का सपना देखा था, लेकिन अब जंजीरों में जकड़े हुए लौटने के बाद अंधरकारमय भविष्य उन्हें डरा रहा है. भारत डिपोर्ट किए गए भारतीयों में अमृतसर के घनश्यामपुर गांव का 21 वर्षीय हरप्रीत सिंह भी शामिल है. गांव पहुंचने के बाद उन्होंने अपनी दास्तान सुनाई है.

फ्लाइट से अमेरिका ले जाने की हुई थी बात

हरप्रीत सिंह ने कहा कि पिताजी चोट के कारण ज्यादा काम कर नहीं सकते और परिवार के पास खेती के लिए भी जमीन नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना में भर्ती होने की कोशिश की थी, लेकिन हो नहीं पाया, इसलिए अमेरिका जाने के बारे में सोचा. उन्होंने कहा, "परिवार ने ही एजेंट से बात किया. वे इटली, स्पेन ग्वाटेमाला और अन्य देशों से होते हुए 24 जनवरी को मैक्सिको बॉर्डर की दीवार पार करके अमेरिका पहुंचे. स्पेन पहुंचने पर मुझे बताया गया की डंकी रूट से अमेरिका ले जाया जा रहा है, जबकि पहले जब बात हुई थी तो बताया गया था कि फ्लाइट से अमेरिका ले जाएंगे और कोई समस्या नहीं आएगी."

अमेरिका पहुंचने के बाद हो गई गिरफ्तारी

पीड़ित ने बताया कि उन्होंने खुद के गाड़ी की और एक देश से दूसरे देश गए और फिर बाद में तीन दिन पैदल भी चले. उन्होंने कहा, "हम लोग बड़ी भयानक स्थिति से गुजरे हैं. खाना बहुत कम दिया जाता था. मोबाइल फोन भी जब्त कर लिए गए थे. माता पिता ने 40 लाख कर्ज लेकर पैसे का इंतजाम किया था. अमेरिका पहुंचने के बाद ही मुझे गिरफ्तार कर लिया गया था और डिटेंशन सेंटर में रखा गया. फिर 13 तारीख को हमें जहाज में बिठाया गया, मगर ये नहीं बताया गया कि हमें कहां लेकर जा रहे हैं."

'यहीं मिल जाए रोजगार तो कोई विदेश क्यों जाए'

हरप्रीत सिंह ने कहा, "अमेरिकन अधिकारियों में एक पाकिस्तान मूल का था, जिसने बताया कि हमें भारत वापिस भेजा जा रहा है. जहाज में हमारे हाथ और पैर बांध दिए गए थे. जहाज में भी खाने का बहुत कम प्रबंध था." उन्होंने कहा कि अगर सरकार यहीं नौजवानों के लिए रोजगार का प्रबंध करे तो कोई विदेश क्यों जाए?

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