नई दिल्ली: रेलवे ने अपनी सहयोगी कंपनी क्रिस (सेंटर फ़ार रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम) की मदद से एक ऐसा डिजिटल प्लेटफ़ार्म तैयार किया है जिससे अब रेल मंत्री और रेलवे के उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के पास देशभर की रेलवे से जुड़ी सभी ताज़ा जानकरियां कम्प्यूटर या मोबाइल पर हर वक़्त मौजूद रहेंगी. यानी रेलवे की कुल कमाई हो या देश के किसी भी हिस्से में चल रहे किसी प्रोजेक्ट की प्रगति हो सब कुछ इस ऐप पर अपडेटेड मिलेगा. इस सुविधा से रेलवे की प्रशासनिक क्षमता में काफी इजाफा होगा.

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पीयूष गोयल के विशेष आग्रह पर बना ये ऐप रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे की गतिविधियों की सीधी निगरानी करने के लिए ख़ासतौर पर ऐसे एप को बनाने का निर्देश दिया था. रेल मंत्री देश भर में रेलवे की लगभग सभी जानकरियां अब अपनी बड़ी स्क्रीन पर देख सकते हैं. यानी रेलवे के छोटे से छोटे प्रोजेक्ट पर भी सीधे रेलमंत्री की निगरानी होगी जिससे रेलवे के कामकाज में तेज़ी आ सकती है.

रेलवे बोर्ड मेंबर और मंत्रालय के उच्च अधिकारियों को भी उपलब्ध होगा ये ऐप इस ऐप में रेलवे की सभी जानकरियां एक बटन दबाने पर उपलब्ध हो जाती हैं. अब रेल मंत्री या रेलवे बोर्ड के उच्च अधिकारियों को रेलवे की महत्वपूर्ण जानकारियों को सम्बंधित विभागों से मांगने की ज़रूरत नहीं रह गई है.

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किस तरह की जानकरियां मिलेंगी इसमें रेलवे के नौ बड़े विभागों की अलग-अलग विंडो हैं जिनमें से किसी को भी क्लिक करने पर उस विभाग से जुड़ी लाखों जानकरियां सामने आ जाएंगी. इसमें फ़्रेट अर्निंग, फ़्रेट लोडिंग/अनलोडिंग, पैसेंजर अर्निंग्स, पंक्चुआलिटी, मेजर प्रोजेक्ट्स, शिकायतें, रेलवे किचन, लाइव ट्रेन जैसे प्रमुख विभागों से जुड़ी सभी ताज़ा जानकरियां शामिल हैं.

उदाहरण के लिए अगर 28 नवंबर 2018 का आंकड़ा देखें तो रेलवे को माल भाड़े से 223.8 करोड़ रूपये की आमदनी हुई. एक साल में यह आमदनी 1,09,445 करोड़ रूपये हुई. पैसेंजर सेवा में इस एक दिन में नौ लाख इक्यानवे हज़ार टिकट बिके. 103 करोड़ रूपए रिज़र्व टिकट से एक दिन में आए. जनरल टिकट से 46 करोड़ की आमदनी हुई. इसके अलावा फ़्रेट से 223 करोड़ रूपए आए. कुल 372 करोड़ इस एक दिन में आए जबकि इस दिन 731 ट्रेने लेट थीं.

भारतीय रेल के बड़े नेटवर्क को देखते हुए ज़ाहिर है ये जानकारी का एक ऐसा प्लेटफ़ार्म है जिसे देश का सबसे बड़ा निगरानी ऐप कहा जा सकता है. भले ही रेल मंत्री को अब हर वक़्त सब कुछ पता रहा करेगा लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि ट्रेन समय से कब अपने गंतव्य तक पहुंचेंगी और ट्रेन दुर्घटनाओं में यात्री कब तक मारे जाते रहेंगे.

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