भारत की सेना अपनी बहादुरी, अनुशासन और कठिन परिस्थितियों में भी हार न मानने वाली जज़्बे के लिए दुनिया भर में जानी जाती है. चाहे बर्फ की दीवारों जैसा सियाचिन हो, तपती रेत का थार, या फिर नक्सलियों से भरा दंतेवाड़ा भारतीय सैनिक हर जगह अदम्य साहस के साथ ड्यूटी निभाते हैं. यहां भारत की वे 5 तैनातियां हैं, जिन्हें सबसे चुनौतीपूर्ण माना जाता है.

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हिमालय की गोद में बसा सियाचिन ग्लेशियर पृथ्वी का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र माना जाता है. यहां ठंड सिर्फ मौसम नहीं, बल्कि एक परीक्षा है. तापमान कई बार पचास से साठ डिग्री सेल्सियस तक माइनस में चला जाता है और ऑक्सीजन इतनी कम हो जाती है कि सांस लेना भी संघर्ष जैसा महसूस होता है. 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लगातार चलने वाली तेज बर्फीली हवा, हर पल गिरने वाले हिमस्खलन और कठोर बर्फ की चट्टानों के बीच भारतीय सैनिक पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखते हैं. यहां पानी पिघलाने से लेकर खाना गर्म करने तक हर काम मुश्किल है, फिर भी जवान देश की सुरक्षा में डटे रहते हैं.

कारगिल की वीरगाथा और बर्फ में जमा देने वाली ठंड

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लद्दाख का द्रास क्षेत्र दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा आबाद इलाका माना जाता है. सर्दियों में यहां तापमान माइनस 40 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे पहुंच जाता है. बर्फ की परतें कई फीट मोटी हो जाती हैं और हवा इतनी कठोर कि कुछ ही मिनटों में शरीर सुन्न हो जाए. यही वह जगह है, जहां 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था. टाइगर हिल, तोलोलिंग और NH-1 जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर दुश्मन की घुसपैठ को रोकने के लिए भारतीय सेना ने असाधारण साहस दिखाया. आज भी द्रास भारत की सबसे संवेदनशील सीमाओं में शामिल है, जहां हर मौसम में सैनिक चौकन्ना रहते हैं.

घने जंगलों में छिपा नक्सल खतरा

छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा क्षेत्र भारतीय सुरक्षाबलों के लिए सबसे जटिल मोर्चों में से एक है. यहां दुश्मन अक्सर सामने नहीं दिखता. वह पेड़ों, झाड़ियों, पहाड़ियों और जमीन के नीचे बिछे आईईडी में छिपा रहता है. जंगल की नमी, कठिन रास्ते, तेज मच्छर, अचानक होने वाली घात लगाकर हमले और खतरनाक बीमारी ये सब यहांं तैनात जवानों की कठिनाइयों को और बढ़ा देते हैं. 2010 में इसी क्षेत्र में 76 जवानों ने जान गंवाई थी. यहां तैनाती हर कदम पर खतरे से भरी है.

तपती रेत और सीमा की निगरानी

राजस्थान का थार रेगिस्तान भारत और पाकिस्तान की सबसे लंबी स्थलीय सीमा का प्रहरी है. गर्मियों में यहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. तेज लू, रेत के तूफान और दूर-दूर तक पानी का अभाव. यह सब मिलकर माहौल को और कठिन बना देते हैं. रात में तापमान अचानक गिर जाता है और दिन में तपिश इतनी बढ़ जाती है कि हथियारों का चलाना भी चुनौती बन जाता है. इसी कठोर भूमि में हजारों भारतीय सैनिक सीमा पार से आने वाली हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखते हैं.

भारत–चीन सीमा की संवेदनशील पहाड़ियां

पूर्वोत्तर भारत का अरुणाचल प्रदेश चीन सीमा से लगा ऐसा क्षेत्र है, जहां हालात अक्सर तनावपूर्ण रहते हैं. कई जगह सड़कें नहीं हैं, धुंध इतनी घनी होती है कि कुछ मीटर दूर तक भी साफ दिखाई नहीं देता. लगातार बारिश रास्तों को फिसलन भरा बना देती है और ऊंची पहाड़ियां आवाजाही को बेहद कठिन. चीन की अचानक आक्रामक हरकतों, पेट्रोलिंग के दौरान झड़पों और कंटीले पहाड़ी रास्तों के बीच भारतीय जवान हर मौसम में सीमा की रक्षा करते हैं. यहां चौकसी का स्तर हर समय उच्च रहता है, क्योंकि छोटे से बदलाव का भी बड़ा असर हो सकता है.

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