Sea Borders: प्रशांत महासागर में चीन-ताइवान विवाद (China-Taiwan Issues) और एलएसी पर भारत-चीन के बीच चल रही तनातनी का असर हिंद महासागर में भी देखने को मिल रहा है. चीन लगातार इंडियन ओसियन रीजन में अपना दबदबा बढ़ाने में लगा है,‌ तो दूसरी तरफ ड्रग्स की स्मगलिंग (Drugs Smuggling) और समंदर से आतंकियों की घुसपैठ का खतरा लगातार बना रहता है. ऐसे में इंडियन कोस्टगार्ड (Indian Coastguard) हमारी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा कैसे करती है ये जानने के लिए एबीपी न्यूज की टीम पहुंची अंडमान निकोबार. भारतीय तटरक्षक बल के जहाज में हमने पूरा‌ एक दिन समंदर में बिताया हमारी ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.


समंदर की लहरों को चीरता हुआ दुश्मन‌ की सीमा तक पहुंचता ये है इंडियन कोस्टगार्ड का जहाज- आईसीजीएस राजतरंग (ICGS Rajtarang). सुनने में भले ही ये नाम कानों को बेहद मधुर लगता है लेकिन जब इसके हथियारों से गोलियां निकलती हैं तो दुश्मनों के कान के पर्दे तक फट जाते हैं. समंदर में दिखती कोई भी संदिग्ध बोट भारतीय तटरक्षक बल और राजतरंग की आंखों में धूल नहीं झोक सकती.


यही वजह है कि एबीपी न्यूज की टीम पहुंची देश के सबसे दूर लेकिन सामरिक कारणों से बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले अंडमान निकोबार द्वीप समूह. क्योंकि एबीपी न्यूज की टीम ने देश के तटरक्षकों के साथ ही जान हथेली पर रखकर संदिग्ध बोट तक पहुंचकर पहली बार रिपोर्टिंग की है.


आईसीजीएस राजतरंग की खासियत


अंडमान निकोबार का सामरिक महत्व क्या है ये हम आपको बताएंगे आगे‌ लेकिन उससे पहले हम आपको भारतीय तटरक्षक बल के इनशोर पैट्रोल वैसेल यानि जहाज, आईसीजीएस राजतरंग के बारे में बताते हैं. करीब 50 मीटर लंबा राजतरंग देश की समुद्री सीमाओं के पेट्रोलिंग यानि गश्त के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा स्पेशल इकनोमिक जोन यानि ईईजेड की निगहबानी और किसी भी संदिग्ध बोट के खिलाफ ऑपरेशन में इस्तेमाल किया जाता है.


एबीपी न्यूज के संवाददाता और कैमरामैन वेद पांडे के पहुंचने के कुछ देर बाद ही राजतरंग अंडमान निकोबार की राजधानी, पोर्ट ब्लेयर से हाई-सी यानि समंदर की तरफ निकल चुका था. राजतरंग को टास्क मिला था म्यांमार से सटी आईएमबीएल यानि इंटरनेशल मेरीटाइम बॉउंड्री लाइन तक पैट्रोलिंग करने और इस दौरान समंदर में दिखने वाली किसी भी संदिग्ध बोट को इंटरसेप्ट करने का. म्यांमार की सीमा इसलिए क्योंकि इसके बेहद करीब है चीन के कोको आईलैंड.


दूरबीन से समंदर में नजरें जमाए रखना मुश्किल


जैसे-जैसे कोस्टगार्ड अंडमान निकोबार द्वीप समूह को पीछे छोड़कर समंदर की तरफ बढ़ रहा था वैसे वैसे चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई पड़ रहा था. जहां तक भी नजर जा रही थी वहां सैकड़ों मील दूर तक समंदर ही समंदर दिखाई पड़ रहा था. राजतरंग‌ के ब्रिज पर मौजूद कैप्टन और बाकी अफसर दूरबीन के जरिए समंदर की निगहबानी कर रहे थे लेकिन उन्होने बताया कि दूरबीन से लगातार समंदर में नजरें गड़ाए रखना लगभग नामुमकिन है. यही वजह है कि जहाज में लगे जहाज से कई मील दूर जा रहे किसी भी जहाज या बोट को ट्रैक किया जा सकता है.


कैप्टन ने दिया एक्शन स्टेशन का आदेश


राजतरंग के जहाज‌ के जहाज को समंदर में पेट्रोलिंग के दौरान अचानक सूचना मिली कि कुछ संदिग्ध फिशिंग बोट्स यानि मछुआरों की बोट एक सूनसान टापुओं के करीब खड़ी हैं. तुरंत कैप्टन ने जहाज को उसी दिशा में मोड़ दिया. थोड़ी देर में बेहद ही घने जंगल वाले आइलैंड के तट के करीब दो संदिग्ध बोट दिखाई पड़ने लगी. राजतरंग के क्रू ने बोट से वायरलैस पर संपर्क किया तो पता चला कि पिछले तीन दिन से वे दोनों बोट एक ही जगह खड़ी थी. ऐसे में बोट्स पर शक बढ़ा और कैप्टन ने तुरंत हाई अलर्ट जारी कर 'एक्शन-स्टेशन' का आदेश दे दिया.


एक्शन-स्टेशन के मायने ये थे कि जहाज में सवार सभी ऑफिसर और तटरक्षक अलर्ट हो जाएं और उस बोट को घेरने की तैयारी करें. जिन तटरक्षकों के पास अपने हथियार थे वे तुरंत डेक पर पहुंचने लगे क्योंकि राजतरंग द्वीप के तट पर डोक यानि एंकर नहीं कर सकता था लिहाजा कुछ दूरी से ही दो छोटी जैमनी बोट के जरिए हथियारबंद तटरक्षकों को संदिग्ध बोट के करीब जाने का फैसला लिया गया.


संदिग्ध बोट पर मारी रेड


जैमनी बोट से संदिग्ध बोट पर रेड करने का फैसला लिया गया. हथियारबंद तटरक्षक तुरंत तैयार होकर बोट पर जाने की तैयारी करने लगे. तटरक्षकों के जाने के दौरान एबीपी न्यूज की टीम भी उनके साथ चली. जैमनी बोट को पहले क्रेन के जरिए राजतरंग से समंदर में उतारा गया. फिर रस्सी की एक सीढ़ी से पहले तटरक्षक उतरे. जैमनी तुरंत आइलैंड‌ की तरफ उधर बढ़ने लगी जहां दो संदिग्ध बोट दिखाई दे रहा थीं.


कुछ ही मिनटों में कोस्टगार्ड के हथियारबंद तटरक्षक‌ जैमनी बोट से होवर करने‌ के बाद उस संदिग्ध बोट पर चढने लगे. एबीपी न्यूज की टीम भी उस संदिग्ध बोट पर चढ़ी और पूरी बोट की तलाशी लेने, सभी दस्तावेज को जांच परख कर क्लीन चिट दे दी गई.


आतंकियों से निपटने के लिए राजतरंग तैयार


समंदर में खतरा सिर्फ ड्रग्स स्मगलिंग का ही नहीं है बल्कि आतंकियों का भी है क्योंकि भारत में सबसे बड़ा आतंकी हमला समंदर के रास्ते ही हुआ था जब पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई पर 26/11 का हमला किया था. अभी भी लगातार इस तरह के इनपुट आते रहते हैं कि आतंकी समंदर के जरिए घुसपैठ कर सकते हैं. खतरा इस बात का भी है कि आतंकी अपनी बोट‌ से किसी बड़े जहाज पर टकराकर हमला ना कर दें. यही वजह है कि आईसीजीएस राजतरंग पर तैनात नौसैनिक ऐसी किसी भी बोट को करीब ना आने की ड्रिल करते हैं. इसके लिए राजतरंग में लगी हैवी मशीन गन यानी एचएमजी और लाइट मशीन गन यानी एलएमजी से फायरिंग की जाती है.


चीन से निपटने की पूरी तैयारी


अंडमान निकोबार (Andaman Nicobar) से सटे समंदर में चीन (China) के बढ़ते दबदबे का भी खतरा बना रहता है क्योंकि अंडमान निकोबार से सटी म्यांमार की समुद्री सीमा में चीन के कोको आईलैंड है. ये कोको आईलैंड म्यांमार (Myanmar) ने चीन को दे दिए थे. यही वजह है कि इस क्षेत्र में चीनी युद्धपोतों पर भी कड़ी नजर रखी जाती है. समंदर में निगहबानी के‌ लिए युद्धपोत के साथ-साथ हेलीकॉप्टर (Helicopter) से भी नजर रखी जाती है. समंदर में ‌सर्च‌ एंड रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) के लिए भी इंडियन कोस्टगार्ड ने अपने हेलीकॉप्टर तैनात कर रखे हैं.


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