Indian Army 75th Infantry Day: आज भारतीय सेना इन्फेंट्री दिवस की 75वीं वर्षगांठ मना रही है. आज ही के दिन सेना की पहली सिख रेजीमेंट 75 साल पहले जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तानी सेना से बचाने के लिए डकोटा विमान में श्रीनगर के ओल्ड एअरफील्ड में पहुंची थीं. यह आजाद भारत का पहला सैन्य अभियान था, जिसने 1947-48 के युद्ध की तस्वीर बदल दी थी.
इस अभियान के लिए भेजी गई भारतीय सैनिकों की पहली टुकड़ी पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए 27 अक्टूबर 1947 को धूल से भरे एअरफील्ड में पहुंची थी. इसलिए भारतीय सेना इस ऐतिहासिक घटना को ‘इंफेंट्री दिवस’ के तौर पर मनाती है. इस मौके पर सेना श्रीनगर के पुराने एअरफील्ड (बडगाम एअरफील्ड) में ‘शौर्य दिवस’ मना रही है.
क्या रहा इन्फेंट्री दिवस पर खास?
इन्फेंट्री दिवस के मौके पर सैनिकों के एअरफील्ड पहुंचने की ऐतिहासिक घटना के कुछ अहम दृश्यों को चित्रित किया गया. आयोजन स्थल पर ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, मेजर सोमनाथ शर्मा और मकबूल शेरवानी के बड़े पोस्टर लगाए गए हैं.
कौन-कौन हुआ कार्यक्रम में शामिल?
इन्फेंट्री दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए बृहस्पतिवार को श्रीनगर के वायु सेना स्टेशन पर पहुंचे. ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह की 80 वर्षीय बेटी ऊषा रानी और अन्य शहीदों के परिवार के सदस्य भी कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं.
सेना ने किया ट्वीट
सेना ने बृहस्पतिवार सुबह ट्वीट किया, "इंफेंट्री-द अल्टीमेट, जनरल मनोज पांडे और भारतीय सेना के सभी अधिकारिोंय ने सभी रैंक पर तैनात सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों, वीर नारियों और इंफेंट्री के परिवारों को इंफेंट्री दिवस के मौके पर शुभकामनाएं दी हैं." सेना ने इंफेंट्री की ताकत का प्रदर्शन करने वाली एक छोटी वीडियो क्लिप भी साझा की.
पाकिस्तानी सेना को जम्मू-कश्मीर से खदेड़ा था
सेना ने पहले बताया था कि लेफ्टिनेंट कर्नल दीवान रंजीत राय के मार्गदर्शन में भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर के राजकीय बल के सैनिकों और लोगों ने पांच जनवरी 1949 को संघर्ष विराम तक पाकिस्तानी सेना को जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों से खदेड़ दिया था. लेफ्टिनेंट कर्नल राय बाद में बारामूला में शहीद हो गए थे.