C 17 Globemaster Landed in Kargil: एक महत्वपूर्ण रणनीतिक सफलता में भारतीय वायुसेना ने बुधवार (5 मार्च, 2025) को करगिल हवाई पट्टी पर वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान की सफल लैंडिंग की. इतिहास में पहली बार लैंडिंग भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि इससे वायुसेना की परिचालन क्षमता और भार वहन करने की क्षमता में वृद्धि होगी.

25-35 टन से अधिक वजन ले जाने की सी-17 की क्षमता भारतीय वायुसेना की परिवहन क्षमता को चार गुना से अधिक बढ़ाएगी और सर्दियों के दौरान यह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चौकियों पर सैनिकों और सैन्य आपूर्ति को ले जाना आसान बनाएगी. इससे पहले, केवल एएन-32 और सी-130 विमान ही करगिल हवाई पट्टी पर संचालित होते थे, जिनकी क्षमता क्रमशः 4-5 टन और 6-7 टन थी.

शुरुआत में दिन के समय संचालित होगा

सी-17 की बड़ी क्षमता का मतलब है कि माल परिवहन के लिए कम उड़ानों की आवश्यकता होगी. सूत्रों के अनुसार, सी-17 शुरू में दिन के समय संचालित होगा, क्योंकि परीक्षण लैंडिंग दिन के उजाले में की गई थी. 

जरूरत पड़ने पर करगिल में किए जाएंगे तैनात

पिछले साल जनवरी में, भारतीय वायुसेना ने पहली बार रात में अपने परिवहन विमान सी-130जे को उतारा था, उसके बाद फिक्स्ड-विंग विमान संचालन और गरुड़ कमांडो ने दुश्मन के रडार की पहचान से बचने के लिए इलाके को छिपाने की तकनीक का इस्तेमाल किया. वर्तमान में, सी-17 श्रीनगर और लेह के एयरबेस से संचालित होते हैं, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो अब उन्हें करगिल से भी तैनात किया जा सकता है. 

करगिल हवाई पट्टी 9,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. 

करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने इस क्षेत्र पर भी गोलाबारी की थी. 14-15 हजार फीट ऊंची पहाड़ियों से घिरी यह हवाई पट्टी परिचालन संबंधी चुनौतियां पेश करती है, लेकिन रक्षा रसद के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है.

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