भारत और अमेरिका अब एक ऐसे व्यापार समझौते की तैयारी में हैं, जो दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नए स्तर पर ले जा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, इस समझौते के बाद अमेरिका भारतीय उत्पादों पर लगने वाले टैरिफ को 50 प्रतिशत से घटाकर लगभग 15 से 16 प्रतिशत तक कर सकता है. यह फैसला भारत के लिए विशेष रूप से ऊर्जा और कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने वाला साबित हो सकता है.

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समझौते की घोषणा इस महीने आयोजित होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन में की जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो यह भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया और रणनीतिक मोड़ होगा.

मोदी-ट्रंप संवाद से मिली दिशा!

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इस प्रस्तावित समझौते के पीछे हाल ही में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फोन वार्ता को अहम माना जा रहा है. दोनों नेताओं ने बातचीत में व्यापार और ऊर्जा सहयोग को प्राथमिक विषय बनाया. ट्रंप ने कहा कि चर्चा का केंद्र वैश्विक ऊर्जा बाजार और व्यापारिक सहयोग था. ट्रंप के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने संकेत दिया कि भारत धीरे-धीरे रूस से तेल खरीद को सीमित करेगा. यह बयान भारत की ऊर्जा नीति और वैश्विक कूटनीति दोनों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत फिलहाल रूसी तेल का बड़ा खरीदार है.

दिवाली की शुभकामनाओं में छिपा कूटनीतिक संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर ट्रंप के फोन कॉल का ज़िक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों की साझेदारी विश्व को आशा और शांति की दिशा दिखाएगी. उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की प्रतिबद्धता भी दोहराई. हालांकि, उन्होंने बातचीत के मुद्दों का खुलासा नहीं किया, लेकिन अमेरिकी पक्ष के बयान से यह साफ है कि चर्चा केवल शुभकामनाओं तक सीमित नहीं रही.

संभावित समझौते की रूपरेखा

रिपोर्ट के अनुसार, भारत-अमेरिका समझौते में केवल टैरिफ कम करने की बात नहीं होगी, बल्कि इसमें कई नए प्रावधान शामिल होंगे. इनमें नियमित समीक्षा प्रणाली, नए व्यापारिक अवसर, और कृषि उत्पादों पर सहयोग जैसी पहलें होंगी. समझौते के तहत अमेरिका अपने कृषि उत्पादों जैसे मक्का और सोयाबीन के लिए भारत के बाजार में बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकता है. वहीं भारत को अमेरिकी ऊर्जा क्षेत्र से सस्ती गैस और कच्चा तेल मिल सकेगा. यह सौदा भारत को रूस पर ऊर्जा निर्भरता घटाने में मदद करेगा और व्यापारिक संतुलन को बेहतर बनाएगा.

ऊर्जा और कृषि सहयोग की नई नींव

अमेरिका पहले से ही भारत के लिए एलएनजी और क्रूड ऑयल का एक प्रमुख सप्लाइर है. प्रस्तावित समझौता इस व्यापार को और विस्तार दे सकता है. भारत के लिए यह स्थिति दोहरा लाभ देगी एक ओर ऊर्जा आपूर्ति में स्थिरता मिलेगी, और दूसरी ओर अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी मजबूत होगी. कृषि क्षेत्र में यह समझौता प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा. अमेरिकी उत्पाद भारत के बाजार में प्रवेश करेंगे, जिससे किसानों के लिए चुनौती भी बढ़ेगी. लेकिन इससे उपभोक्ताओं को विविधता और बेहतर गुणवत्ता के विकल्प भी मिलेंगे.

आसियान सम्मेलन में हो सकता है ऐलान

मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, इस समझौते की औपचारिक घोषणा आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान संभव है. भारत और अमेरिका दोनों ही इस डील को रणनीतिक साझेदारी के नए अध्याय के रूप में देख रहे हैं. अगर यह समझौता होता है तो यह न केवल आर्थिक लाभ देगा बल्कि भू-राजनीतिक संतुलन में भी भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा.

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