भारत का स्वदेशी फाइटर जेट HAL तेजस और पाकिस्तान-चीन का संयुक्त प्रोजेक्ट JF-17 थंडर अक्सर तुलना में चर्चा का विषय रहते हैं. तेजस का डिजाइन एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने किया और इसका निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने किया है. यह सुपरसोनिक श्रेणी का सबसे छोटा और हल्का मल्टीरोल लड़ाकू विमान है. इसकी पहली उड़ान 2001 में हुई और 2015 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया.

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तेजस की सर्विस सीलिंग 50,000 से 56,758 फीट तक है और इसमें अस्त्र, डर्बी, पायथन-5, ASRAAM और R-73 जैसी हवा से हवा मिसाइलें, हवा से सतह हथियार और 23 मिमी GSh-23 ऑटोकैनन शामिल हैं. तेजस MK2 की मारक क्षमता 3,000 से 3,500 किलोमीटर तक है जबकि इसकी लड़ाकू क्षमता लगभग 1,500 किलोमीटर है. सुरक्षा रिकॉर्ड की बात करें तो यह बेहद अच्छा है और मार्च 2024 तक केवल एक दुर्घटना हुई, जिसमें पायलट सुरक्षित बच गया.

JF-17 की खासियत क्या है?

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पाकिस्तान और चीन की तरफ विकसित JF-17 थंडर की पहली उड़ान 2003 में हुई और 2007 में इसे पाकिस्तानी वायुसेना में शामिल किया गया. इसका उद्देश्य पुराने विमानों जैसे Mirage और F-7P को बदलना था. JF-17 की सर्विस सीलिंग 50,000 फीट है और इसमें हवा से हवा मिसाइलें, सतह से हमला करने वाले हथियार, एंटी-शिप मिसाइलें, बम और 23 मिमी GSh-23-2 ट्विन बैरल गन शामिल हैं. इसका अधिकतम टेकऑफ़ वजन 13,500 किलोग्राम है और ड्रॉप टैंक के साथ इसकी रेंज 3,482 किलोमीटर तक जाती है, लेकिन इसका सुरक्षा रिकॉर्ड कमजोर है. 2011 से अब तक कम से कम 4 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें पायलटों की जान भी गई है.

तेजस तकनीकी रूप से ज्यादा आधुनिक

अगर दोनों विमानों की तुलना करें तो तेजस तकनीकी रूप से ज्यादा आधुनिक है. इसकी रेंज और ऊंचाई JF-17 के लगभग बराबर है लेकिन हल्के डिजाइन और आधुनिक हथियार प्रणालियों के कारण तेजस को बढ़त मिलती है. सुरक्षा रिकॉर्ड में भी तेजस JF-17 से काफी बेहतर है. सबसे बड़ा फर्क यह है कि चीन ने JF-17 को अपनी वायुसेना में शामिल नहीं किया, जो इसकी कमजोरी दर्शाता है.

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