भारत ने गुरुवार (16 अक्टूबर,2025) को ब्रिटेन द्वारा रूस के तेल क्षेत्र और भारतीय कंपनियों पर लगाए गए नए प्रतिबंधों को सख्ती से खारिज कर दिया. विदेश मंत्रालय (MEA) ने दोहराया कि भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता और ऊर्जा सुरक्षा को देश के नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी मानता है.

Continues below advertisement

क्या कहा विदेश मंत्रालय ने?MEA के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हमने ब्रिटेन द्वारा घोषित नए प्रतिबंधों को नोट किया है… हम किसी भी एकतरफा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करते. भारत सरकार के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता है ताकि नागरिकों की बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकें.' उन्होंने आगे कहा, 'हम यह जोर देना चाहेंगे कि खासकर ऊर्जा व्यापार के मामले में दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए.'

नायरा एनर्जी ने दी प्रतिक्रियाब्रिटेन के नए प्रतिबंधों पर प्रतिक्रिया देते हुए नायरा एनर्जी ने साफ कहा कि वह पूरी तरह भारतीय कानूनों और नियमों के तहत काम करती है. कंपनी ने बयान में कहा, 'एक भारतीय कंपनी के रूप में हम देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं.'

'EU का फैसला झूठे आरोपों पर आधारित'कंपनी ने ब्रिटेन और यूरोपीय संघ की कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए कहा, 'हम स्पष्ट कहना चाहते हैं कि यूरोपीय संघ का यह एकतरफा कदम झूठे आरोपों पर आधारित है. यह अंतरराष्ट्रीय कानून और भारत की संप्रभुता की अनदेखी करते हुए उनकी अधिकार सीमा से बाहर का कदम है.'

रूस की तेल कंपनियों पर भी सख्तीब्रिटेन ने अपनी नई पाबंदियों में रूस की तेल कंपनियों रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) को भी निशाना बनाया है. ये दोनों कंपनियां मिलकर रोजाना करीब 3.1 मिलियन बैरल तेल का निर्यात करती हैं. इनमें से केवल रोसनेफ्ट ही रूस के कुल तेल उत्पादन का लगभग आधा और वैश्विक आपूर्ति का करीब 6% हिस्सा संभालती है.

ब्रिटेन ने लगाई 90 नई पाबंदियांब्रिटेन सरकार ने बुधवार को रूस की तेल कंपनियों और भारतीय पेट्रोलियम कंपनी नायरा एनर्जी लिमिटेड पर 90 नए प्रतिबंधों की घोषणा की. ब्रिटेन सरकार ने नायरा एनर्जी लिमिटेड के बारे में कहा कि उसने 2024 में अरबों डॉलर मूल्य का रूसी कच्चा तेल आयात किया था. विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (FCDO) ने कहा कि ब्रिटेन के वित्त मंत्रालय के साथ समन्वित कार्रवाई रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध के लिए वित्तपोषण के स्रोतों पर हमला करेगी. इसका लक्ष्य रूस तक पहुंचने वाले तेल राजस्व को रोकना है.