Procurement of Military Hardware: भारत ने पिछले पांच वर्षों में 1.93 लाख करोड़ रुपये कीमत के सैन्य साजो-सामान विदेशों से खरीदे हैं. आयात किए गए प्रमुख रक्षा उपकरणों में हेलिकॉप्टर, एयरक्राफ्ट रडार, रॉकेट, बंदूकें, असॉल्ट राइफल, मिसाइलें और गोला-बारूद शामिल हैं. शुक्रवार (3 फरवरी) को यह जानकारी रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में दी. 


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मिलिट्री हार्डवेयर की खरीद को लेकर रक्षा राज्य मंत्री ने जो आंकड़े पेश किए वो 2017-18 से 2021-22 की अवधि से संबंधित हैं. इसी के साथ मंत्री ने कहा कि 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' पर ध्यान देने के साथ रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (Defence Acquisition Procedure 2020) ने स्वदेशी रक्षा क्षमता को बढ़ाने और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए प्रमुख नीतिगत पहल शुरू कर दी थी. 


'वैश्विक साजो-सामान की खरीद केवल असाधारण परिस्थितियों में'


एक लिखित जवाब में मंत्री ने आगे कहा कि रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP 2020) भारतीय कैटेगरी के उपकरण खरीदने की वरीयता प्रदान करता है. वहीं, वैश्विक साजो-सामान की खरीद (Buy Global) के लिए अनुमति केवल असाधारण परिस्थितियों में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) और रक्षा मंत्री की ओर से दी जाती है.


विदेशों से मिलिट्री हार्डवेयर लेने में कब कितना हुआ खर्च?


भट्ट की ओर से उपलब्ध कराए गए विदेशों से सैन्य उपकरणों की खरीद संबंधी आंकड़े बताते हैं कि 2017-18 में 30,677.29 करोड़ रुपये के सैन्य उपकरण खरीदे गए. 2018-19 में 38,115.60 करोड़, 2019-20 में 40,330.02 करोड़, 2020-21 में 43,916.37 करोड़ और 2021-22 में 40,839.53 करोड़ रुपये के सैन्य साजो-सामान की खरीद की गई. इस मद में पांच वर्षों में खर्च की गई कुल रकम 1,93,878.81 करोड़ रुपये होती है.


रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए किन देशों से किए गए थे करार?


मंत्री ने बताया कि पिछले पांच वित्तीय वर्षों (2017-18 से 2021-2022) और चालू वित्त वर्ष 2022-23 (दिसंबर 2022 तक) के दौरान सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए कुल 264 पूंजीगत अधिग्रहण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. इनमें से 88 करार (कुल कीमत का 36.26 फीसदी) अमेरिका, रूस, फ्रांस, इजराइल आदि जैसे देशों के विक्रेताओं के साथ किए गए. 


एक सवाल के जवाब में भट्ट ने कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) कुल स्वीकृत 73,942.82 करोड़ रुपये की 55 मिशन मोड परियोजनाओं पर काम कर रहा है.


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