भारत में मोबाइल सुरक्षा को मजबूत करने और ऑनलाइन ठगी को रोकने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) ने एक नया निर्देश जारी किया है. इसके तहत अब देश में बनने वाले या विदेश से आने वाले हर नए स्मार्टफोन में संचार साथी ऐप पहले से ही मौजूद होगा. इस आदेश को सभी मोबाइल निर्माता कंपनियों और आयातकों को तुरंत लागू करने के लिए कहा गया है.

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संचार साथी ऐप मोबाइल यूजर को सुरक्षा मुहैया करवाता है. फोन खो जाए या चोरी हो जाए तो उसकी रिपोर्टिंग और ब्लॉकिंग इसी ऐप से कुछ मिनटों में की जा सकती है. इसके अलावा यह ऐप फर्जी लिंक, स्पैम कॉल, संदिग्ध संदेश और मोबाइल पर जारी कनेक्शनों की निगरानी में भी मदद करता है. ऐप की खास बात यह है कि यूजर को अब IMEI नंबर याद रखने जैसी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा.

विपक्ष ने खोला मोर्च

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राजस्थान से राज्यसभा के सांसद के सी वेणुगोपाल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि बिग ब्रदर हम पर नजर नहीं रख सकता. दूरसंचार विभाग का यह निर्देश असंवैधानिक से भी परे है. निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का एक अभिन्न अंग है. एक प्री-लोडेड सरकारी ऐप, जिसे अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता, हर भारतीय पर नजर रखने की एक मनहूस मशीन है. यह प्रत्येक नागरिक की हर गतिविधि, बातचीत और निर्णय पर नजर रखने का एक साधन है. यह भारतीय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला करने का हिस्सा है. इसे जारी नहीं रहने दिया जाएगा. हम इस निर्देश को अस्वीकार करते हैं और इसे तत्काल वापस लेने की मांग करते हैं.

संचार साथी की अब तक की उपलब्धियां

देशभर में इस ऐप ने करोड़ों लोगों को मोबाइल सुरक्षा से जुड़ी सेवाएं प्रदान की हैं. लाखों फोन ब्लॉक किए जा चुके हैं और बड़ी संख्या में चोरी हुए मोबाइल का लोकेशन भी ट्रेस किया जा चुका है. करोड़ों उपयोगकर्ताओं ने इस प्लेटफॉर्म पर अपने नाम से चल रहे मोबाइल कनेक्शनों की जांचकर ठगी की कई संभावनाओं को पहले ही रोक लिया. प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर इसके डाउनलोड लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिससे इसकी विश्वसनीयता और लोकप्रियता का अंदाज़ लगाया जा सकता है.

मोबाइल कंपनियों के लिए नए नियम

सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब बनाए जाने वाले सभी मोबाइल फोनों में संचार साथी पहले से इंस्टॉल होना चाहिए और इस ऐप को फोन से हटाया या बंद नहीं किया जा सकेगा. पुराने स्टॉक के फोन में भी सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए इस ऐप को शामिल करना अनिवार्य होगा. एप्पल, सैमसंग, ओप्पो, वीवो, शाओमी जैसी सभी कंपनियों को 90 दिन में इस आदेश का पालन शुरू करना होगा और 120 दिन के भीतर इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी.

सरकार का उद्देश्य

DoT का कहना है कि यह कदम भारत में मोबाइल धोखाधड़ी को कम करने की दिशा में एक बड़ा सुधार है. नकली हैंडसेट की पहचान, साइबर फ्रॉड की शिकायत, संदिग्ध गतिविधियों का ट्रैक और नागरिकों की सुरक्षा. इन सभी पहलुओं को देखते हुए संचार साथी को अनिवार्य बनाना जरूरी था.

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