भारत सरकार ने शनिवार (23 अगस्त, 2025) को प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत जर्मनी के साथ 70 हजार की डील को मंजूरी दे दी. प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत भारत जर्मनी के सहयोग से छह एडवांस सबमरीन को देश में विकसित करेगी. हालांकि, भारत और जर्मनी के बीच यह समझौता छह महीने से ज्यादा की देरी के बाद हुआ है.

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न्यूज एजेंसी एएनआई ने रक्षा अधिकारियों के हवाले से कहा, “रक्षा मंत्रालय और सरकारी स्वामित्व वाली मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड (MDL) ने जर्मनी की थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स कंपनी के साथ प्रोजेक्ट 75 इंडिया को लेकर बातचीत शुरू करने की मंजूरी दे दी है. भारत और जर्मन कंपनी के बीच यह बातचीत इस महीने के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है और इस कॉन्ट्रैक्ट के अगले छह महीने के अंदर पूरा होने की उम्मीद है.

भारतीय नौसेना की ताकत में होगी बढ़ोत्तरी   

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भारत के रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के टॉप अधिकारियों ने जर्मन कंपनी के साथ छह एडवांस सबमरीन को भारत में ही निर्माण करने का यह फैसला भारतीय सबमरीन प्रोग्राम और उसकी भविष्य की आवश्यकताओं की समीक्षा और एक उच्च स्तरीय बैठक करने के बाद लिया है. प्रस्तावित सबमरीन्स को एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्सन (AIP) सिस्टम्स से भी लैस किया जाएगा, जिससे यह सबमरीन तीन हफ्ते तक पानी के अंदर बिना किसी समस्या के रह सकेंगी. इस एडवांस फीचर से भारतीय नौसेना की ताकत में और ज्यादा इजाफा हो जाएगा.

भारत की स्वदेशी क्षमता को मजबूत करना है उद्देश्य

रक्षा अधिकारियों ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य न सिर्फ अपनी सबमरीन्स के फ्लीट में विस्तार करना है, बल्कि इस प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत कंवेंसनल सबमरीन्स डिजाइन और निर्माण में भारत की स्वदेशी क्षमता को और भी ज्यादा मजबूत करना है. यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है जब भारत अपने सबमरीन बेड़े को आधुनिक करने में जुटा है और दूसरी तरफ चीन और पाकिस्तान तेजी के साथ अपनी नौसैनिक क्षमता का विस्तार कर रहे हैं.