Hydrogen Train Indian Railway: देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन बन कर तैयार है. इंडियन रेलवे दिसंबर 2024 में अपनी पहली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन सेवा शुरू करने की तैयारी में है. पर्यावरण के अनुकूल यात्रा की दिशा में यह एक ब़डा कदम है. RDSO ने हाइड्रोजन ट्रेन की पहली तस्वीर जारी की है. RDSO के निदेशक उदय बोरवणकर ने बताया कि यह ट्रेन उत्तर रेलवे ज़ोन के तहत हरियाणा के जींद-सोनीपत सेक्शन पर चलेगी. इसमें 8 कोच होंगे. 110km प्रति घंटे की रफ़्तार से चलेगी.
दरअसल, भारत में पहली हाइड्रोजन ट्रेन के विकास ने देश के रेल परिवहन में एक बड़ा तकनीकी मील का पत्थर स्थापित किया है. इस परियोजना का डिज़ाइन आरडीएसओ (रिसर्च डिज़ाइन्स एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन) द्वारा तैयार किया गया है और इसे चेन्नई स्थित आईएफसी में इंटीग्रेट किया गया है.इस ट्रेन के लिए 2,800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. हाइड्रोजन ट्रेनें, डीज़ल इंजन की तुलना में कम प्रदूषण करती हैं.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन बन कर तैयार हो गई है. इसका ट्रायल भी हो चुका है और जल्द ही इसे आम यात्रियों के लिए चलाया जाएगा.हाइड्रोजन ट्रेन की पहली तस्वीर आरडीएसओ ने जारी की है.दरअसल आरडीएसओ ने ही इस ट्रेन को डिजाइन किया है जिसे इंटिग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में बनाया गया है. कैसा होगा आंतरिक तकनीकी स्ट्रक्चरहाइड्रोजन ट्रेन में हाइड्रोजन के लिए कंपार्टमेंट लगे होंगे और इसे फ्यूल में कन्वर्ट करने के लिए 4 बैटरियां भी लगी होंगी. खास बात है कि दुनिया के कई देशों में रोड ट्रांसपोर्ट में तो हाइड्रोजन फ्यूल सफल है, लेकिन रेल ट्रांसपोर्ट में इसका सफल प्रयोग नहीं हो पाया है. हाइड्रोजन ट्रेन की आंतरिक तकनीकी ढांचा ड्राइवर डेस्क के पीछे कंट्रोल पैनल होगा और उसके पीछे 210 किलो वॉट की बैटरी उसके पीछे फ्यूल सेल होगा उसके बाद हाइड्रोजन सिलेंडर कास्केड-1, 2 और 3 होगा. इसके बाद फिर फ्यूल सेल होगा. और अंत में एक और 120 किलो वॉट की बैटरी लगी होगी.
हाइड्रोजन ट्रेन की प्रमुख विशेषताएंपहली हाइड्रोजन ट्रेन हरियाणा के जींद से सोनीपत के बीच चलेगी. ट्रेन को दिसंबर 2024 तक शुरू करने की योजना है. यह ट्रेन 110 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चलेगी. इसमें कुल 8 कोच होंगे. बता दें कि हाइड्रोजन ट्रेन, डीजल और अन्य जीवाश्म ईंधन से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में प्रदूषण को कम करने में सक्षम है, क्योंकि इसका उत्सर्जन केवल पानी और गर्मी है. इसका डिज़ाइन लखनऊ स्थित आरडीएसओ संस्था में की गई है. वहीं, निर्माण और इंटीग्रेशन आईएफसी चेन्नई में हुआ है. भारत में हाइड्रोजन फ्यूल वाली पहली ट्रेन होगी
अब तक सिर्फ़ जर्मनी, स्विट्जरलैंड और चाइना में हाइड्रोजन फ्यूल वाली ट्रेन बनी है, लेकिन कहीं भी बड़े पैमाने पर सफल नहीं हो सकी है. सिर्फ़ जर्मनी में ये ट्रेन चल रही है जिसमें सिर्फ 2 कोच लगे हैं. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बड़ी बात ये है कि हम इस टेक्नोलॉजी पर मास्टरी करना चाहते हैं, क्योंकि अब तक दुनिया में ये कहीं भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल नहीं हो पाई है. जर्मनी, स्विट्जरलैंड और चाइना ने प्रयास किया है पर उस स्तर पर सफल नहीं हो पाए हैं. बाक़ी देशों में 1000 हॉर्स पावर तक गए हैं जबकि हम 1200hp पर काम कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि देश में बोट, टग बोट (शिप को खींचने वाले) और ट्रक में भी इसका इस्तेमाल हो” “नमो ग्रीन रेल” होगा नाम ?आरडीएसओ ने इस ट्रेन का फ़ौरी नाम नमो ग्रीन रेल रखा है. हालांकि नाम को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा “अभी हाइड्रोजन ट्रेन का कोई नाम नहीं रखा गया है. जब अनाउंस करेंगे तभी नाम रखा जाएगा.ट्रेन जनवरी में चलेगी या मार्च में ये नहीं कह सकते, लेकिन जल्द चलेगी”
आत्मनिर्भर भारत अभियान को मिलेगा बढ़ावायह ट्रेन कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम करेगी, जिससे हरित और टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा मिलेगा. यह भारत की रेलवे प्रणाली के आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भर भारत अभियान में महत्वपूर्ण योगदान देगा. वैसे भी हाइड्रोजन को भविष्य की ऊर्जा के रूप में देखा जा रहा है. यह ट्रेन भारत में हाइड्रोजन-बेस्ड ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम को प्रोत्साहित करेगी.