13 घंटे की मैराथन बैठक के बाद भी भारत और चीन एलएसी के बाकी बचे विवादित इलाकों के समाधान के लिए कोई ठोस फैसला नहीं ले पाए. लेकिन बैठक में इस बात पर जरूर राजी हो गए कि एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए आगे भी इस तरह की सैन्य और राजनयिक स्तर की मीटिंग होती रहनी चाहिए.


शनिवार को भारत और चीन ने साझा बयान जारी कर कहा कि 11 मार्च को 15वें दौर की कोर कमांडर स्तर की जो मीटिंग हुई, उसमें पिछले मीटिंग पर जो बातचीत हुई थी उसे आगे बढ़ाया गया. इस दौरान दोनों पक्षों ने अपने-अपने देश के शीर्ष-नेतृत्व द्वारा दिए गए मार्ग-दर्शन के अनुसार विस्तृत विचारों का आदान-प्रदान किया. इस बातचीत में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के बाकी मुद्दों के जल्द से जल्द समाधान के लिए काम करना भी शामिल था.


11 मार्च को भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की बातचीत सुबह 10 बजे से शुरू होकर रात 1 बजे तक चली थी, यानी करीब 13 घंटे. ये मीटिंग पूर्वी लद्दाख के चुशूल-मोल्डो मीटिंग पॉइंट पर भारतीय सीमा में हुई थी. ये मीटिंग खासतौर से एलएसी की पैट्रोलिंग पॉइंट (पीपी) नंबर 15 पर डिसइंगेजमेंट के लिए की गई थी, जहां दोनों देशों की एक-एक प्लाटून आमने सामने है. इसके अलावा भारत की तरफ से डेपसांग प्लेन और डेमचोक जैसे विवादित इलाकों के समाधान का मामला भी उठाया गया था.


भारत की तरफ से सेना की लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल अनिन्दय सेनगुप्ता ने हिस्सा लिया था तो चीन की तरफ से दक्षिणी तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक के प्रमुख, मेजर जनरल यांग लिन ने.


भारत के रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया कि मीटिंग के बाद दोनों ही देश इस बात के लिए राजी हो गए हैं कि विवाद सुलझने से एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र (पूर्वी लद्दाख) में शांति बहाली में मदद मिलेगी और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध मजूबत होंगे. इससे एलएसी पर जमीनी-स्तर पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच स्थिरता भी कायम होगी.


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, बैठक के दौरान दोनों ही देश के सैन्य कमांडर जल्द से जल्द बाकी बचे मुद्दों को पारस्परिक तौर से स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखने पर सहमत हो गए हैं.


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