प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को दूसरी भारत-ऑस्ट्रेलिया वर्चुअल शिखर बैठक की थी. इस बैठक में दोनों देशों ने पाकिस्तान का नाम लिये बगैर सीमा पार से उसके द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद की निंदा की. दोनों नेताओं ने पाकिस्तान का नाम लिये बगैर उसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोई भी देश और उनकी जमीन का उपयोग आतंकवादी हमलों के लिए नहीं किया जाना चाहिये.


उनके द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि यह स्वीकार करते हुए कि आतंकवाद हमारे क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए खतरा बना हुआ है किसी भी देश को इस तरह की प्रक्रिया में लिप्त नहीं होना चाहिये. इसके पीएम मोदी ने बैठक में ऑस्ट्रेलिया के पीएम से कहा कि व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा, शिक्षा और नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनका पहले से ही बहुत घनिष्ठ सहयोग रहा है.


इसके अलावा उन्होंने अन्य क्षेत्रों जैसे महत्वपूर्ण खनिज, जल प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, कोविड-19 में भी दोनों देशों के बीच हुई तेज वृद्धि को लेकर खुशी जताई है. उन्होंने बेंगलुरु में ऑस्ट्रलिया के सहयोग से महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना में सहयोग के लिये धन्यवाद दिया है.


प्राचीन भारतीय कलाकृतियों को लौटाने के लिये कहा धन्यवाद


इसके अलावा पीएम ने प्राचीन भारतीय कलाकृतियों को लौटाने की पहल करने के लिए पीएम ने अपने समकक्ष मॉरिसन से कहा कि मैं आप को विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात, हिमाचल प्रदेश के साथ कई अन्य भारतीय राज्यों से अवैध तरीकों से निकाली गयी सैकड़ों वर्ष पुरानी मूर्तियों और चित्रों को भारत को वापस सौंप दिया है. 


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