अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ टैरिफ को लेकर विवाद में हैं, लेकिन इसी बीच भारत और अमेरिका की सेनाएं एक बड़े सैन्य अभ्यास के लिए तैयार हो रही हैं. इस अभ्यास का नाम ‘युद्ध अभ्यास’ है, जिसका 21वां संस्करण 1 सितंबर से 14 सितंबर 2025 तक अमेरिका के अलास्का में होगा. यह अभ्यास दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगा. खास बात यह है कि इस बार इसमें आतंकवाद रोधी ऑपरेशन, नई तकनीक और विशेष वाहनों की टेस्टिंग भी शामिल होगी.

क्या है ‘युद्ध अभ्यास’?‘युद्ध अभ्यास’ भारत और अमेरिका के बीच हर साल होने वाला संयुक्त सैन्य वॉरगेम है, जो 2004 से शुरू हुआ. यह अभ्यास एक साल भारत में और अगले साल अमेरिका में बारी-बारी से आयोजित होता है. 2024 में इसका 20वां संस्करण राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में हुआ था. इस साल यह अलास्का के ठंडे और पहाड़ी इलाकों में होगा, जहां सैनिकों को कठिन परिस्थितियों में ट्रेनिंग दी जाएगी. इसका मुख्य उद्देश्य दोनों सेनाओं को एक साथ मिलकर आतंकवाद रोधी ऑपरेशन के लिए तैयार करना है.

इस बार क्या खास रहेगाइस साल अभ्यास का दायरा और जटिलता पहले से ज्यादा होगी. भारत से 400 से ज्यादा सैनिक हिस्सा लेंगे, जिनमें मद्रास रेजिमेंट के जवान लीड करेंगे. इसमें पैदल सेना, टैंक यूनिट और अन्य सहायक बल शामिल होंगे. अमेरिकी सेना इस दौरान अपने नए हथियार और तकनीक पेश करेगी, जिनमें ‘स्ट्राइकर’ वाहन का पानी में चलने वाला (अम्फीबियस) वर्जन भी होगा. भारत पहले ही इसके जमीन पर चलने वाले मॉडल की टेस्टिंग कर चुका है और अब पानी में चलने की क्षमता की जांच करेगा. अगर यह सफल रही तो भारत इसे खरीदने पर विचार करेगा.

ऑपरेशन सिंदूर से सीखना चाहती हैं अमेरिकी सेनाअमेरिकी सेना इस बार भारत के हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से सीख लेना चाहती है. इस ऑपरेशन में भारत ने आतंकवादियों के खिलाफ सख्त और सफल कार्रवाई की थी. इसमें रणनीति, ताकत और तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल हुआ था. अभ्यास के दौरान दोनों सेनाएं संयुक्त योजना बनाने और असली हालात जैसे सिमुलेशन में आतंकवाद रोधी मिशन करने की प्रैक्टिस करेंगी. यह ट्रेनिंग संयुक्त राष्ट्र के नियमों (Chapter VII) के तहत होगी.

अभ्यास में क्या-क्या होगा14 दिनों के इस अभ्यास में कई तरह की गतिविधियां होंगी. इसमें आतंकवाद रोधी ड्रिल, संयुक्त रणनीति बनाना, कठिन इलाकों में फील्ड ट्रेनिंग, एक-दूसरे की तकनीक और तरीके सीखना, और ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदा से निपटने की ट्रेनिंग शामिल होगी. यह अभ्यास दोनों सेनाओं के बीच दोस्ती, विश्वास और सहयोग को बढ़ाएगा.

क्यों जरूरी है यह अभ्यासआज के समय में आतंकवाद और सीमा पर तनाव बढ़ रहा है. ऐसे में भारत और अमेरिका को मजबूत सैन्य साझेदारी की जरूरत है. इस अभ्यास से दोनों सेनाएं एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से काम करना सीखेंगी. साथ ही, यह भारत को अमेरिकी तकनीक अपनाने और परीक्षण करने का अवसर देगा. ट्रंप के साथ व्यापारिक तनाव के बावजूद, यह अभ्यास दोनों देशों की सैन्य दोस्ती और साझेदारी को दर्शाता है.