नई दिल्ली: भारत और विश्व के सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया ने रक्षा और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्रों में अपने रणनीतिक संबंधों को बढ़ाने का फैसला किया. वहीं आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लेते हुए इसके प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने की’ नीति का आह्वान किया.

पीएम नरेन्द्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के बीच हुई वार्ता में प्रभावी विकास दर वाले इन दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने का निर्णय किया. दोनों का ध्यान विशेषकर तेल एवं गैस, दवा, आईटी एवं कौशल विकास जैसे क्षेत्रों पर है.

बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों की कड़े शब्दों में भर्त्सना की और आतंकवाद की किसी भी हरकत को जरा भी बर्दाश्त नहीं किए जाने पर बल दिया.

दक्षिण चीन सागर विवादों का उल्लेख करते हुए दोनों देशों ने इस मुद्दे का शांतिपूर्ण माध्यमों और यूएनसीएलओएस सहित वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के अनुरूप समाधान निकाले जाने का आह्वान किया. दक्षिण चीन सागर विवाद में इंडोनेशिया भी एक पक्ष है.

दोनों देशों के बीच सम्पर्क और लोगों के बीच परिचय बढ़ाने की आवश्कता पर बल देते हुए दोनों नेताओं ने इंडोनेशिया की एयरलाइंस गरूड़ के जकार्ता से मुंबई के बीच सीधी उड़ान शुरू करने के निर्णय का स्वागत किया.

आतंकवाद से निपटने के मामले में संयुक्त बयान में आतंकवादी घोषित करने से संबंधित यूएनएससी प्रस्ताव 1267 और अन्य सम्बद्ध प्रस्तावों को लागू करने के लिए सभी देशों का आह्वान किया गया. यह आह्वान चीन द्वारा भारत के उस कदम को बाधित किये जाने को लेकर लक्षित है जिसमें जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाने का प्रयास किया गया था.