तिरुवनंतपुरम: केरल में 25 मार्च को कोविड-19 लॉकडाउन शुरू होने के बाद से कम से कम 66 बच्चे आत्महत्या कर चुके हैं जबकि युवा तनाव से गुजर रहे हैं. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के मुताबिक राज्य में बच्चों के बीच, मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर मां-बाप की डांट और ऑनलाइन कक्षाएं लेने में नाकामी समेत कई कारणों से आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं.

इसके चलते सरकार ने तनाव का सामना कर रहे बच्चों के लिये परामर्श सुविधा शुरू की है. साथ ही माता-पिता को आगाह किया जा रहा है कि वे अपने बच्चों की भलाई के लिए उनकी भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं. सरकार ने मामले पर अध्ययन करने का भी आदेश दिया है.

विजयन ने कहा, ''बच्चों में आत्महत्या की प्रवृत्ति के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है, जोकि एक बेहद गंभीर सामाजिक मुद्दा है. 25 मार्च को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन शुरू होने के बाद 18 साल के कम आयु के 66 बच्चे विभिन्न कारणों से अपनी जान दे चुके हैं.''

उन्होंने शनिवार को कहा कि ऑनलाइन कक्षाएं न लेने के लिये मां की डांट और मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल पर माता-पिता का सवाल उठाना आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने की वजहों में शामिल हैं. लॉकडाउन के चलते स्कूल दोबारा न खुल पाने के कारण बच्चे अपने दोस्तों से मिलकर उन्हें अपनी समस्याएं नहीं बता पा रहे हैं.

सरकार ने मानसिक दबावों से संबंधित मुद्दों का सामना कर रहे बच्चों की मदद के लिए अपने 'बच्चों के प्रति हमारी जिम्मेदारी कार्यक्रम (ओआरसी) के तहत चिरईटेले-काउंसलिंग की पहल शुरू की है, जिसके तहत 12 से 18 साल के बच्चों को विशेषज्ञों से रूबरू कराया जाता है.

इसके अलावा सरकार ने किसी भी तरह के मानसिक तनाव का सामना कर रहे बच्चों को आत्महत्या की प्रवृत्ति से बचाने के लिये 'ओट्टाकल्ला ओप्पामुंडू' (आप अकेले नहीं हैं, हम आपके साथ हैं) कार्यक्रम शुरू किया है.

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