महारष्ट्र: महाराष्ट्र के जिला सहकारी बैंकों में 10 दिसंबर से 14 दिसंबर के बीच 5000 करोड़ रुपये की राशि जमा हुई. ये नकदी सरकार के द्वारा बैन कर दिए गए 500 और 1000 रुपये के नोटों में जमा की गई.

इसपर नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवेलपमेंट) को शक है कि कहीं इतनी बड़ी रकम को कहीं काले से सफेद तो नहीं किया जा रहा है. नाबार्ड ने इस सिलसिले में अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंपी है.

इतनी बड़ी रकम जमा होने के बाद से जिला सहकारी बैंकों की लेनदेन पर फिलहाल रोक लगा दी गई है, जिसमें कहा गया है ना ही वे पैसे जमा कर सकते हैं और ना ही पुराने नोट बदल सकते हैं. मुंबई के जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के चेयरमैन प्रवीण दरेकर का कहना है कि अगर जिला सहकारी बैंकों पर लगाए गए प्रतिबंध नहीं हटाए गए तो ये बैंक बर्बाद हो जाएंगे.

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में कुल जिला कॉपरेटिव बैंको की संख्या 31 हैं. प्रवीण दरेकर ने बताया कि पुणे, सतारा और मुंबई के बैंक में सबसे ज्यादा पैसे जमा हुए हैं.

गौरतलब आठ नवंबर को नोटबैन के फैसले के बाद देश के बैंकों में लोग बैन किए हुए पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट जमा कर रहे हैं. फिलहाल सरकार ने लोगों को वक्त दिया है कि वो अपना पुराना नोट 31 दिसंबर तक बैंकों में जमा कर सकते हैं.