नई दिल्ली: गुजरात में उत्तर भारतीयों हमलों के बाद लोगों की मुश्कलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. हिंसा के डर से कुछ लोग पलायन करने को मजबूर हैं तो वहीं कुछ के लिए महफूजय ठिकाना भी एक बड़ी समस्या बन गया है. राज्य सरकार सुरक्षा और कार्रवाई का भरोसा दे रही है लेकिन लोगों में डर का माहौल बना हुआ है. गुजरात से वापस आए लोग बता रहे हैं कि उन्हें किस तरह धमकाया गया. उनसे कहा गया कि अगर जव्द से जल्द वापस नहीं गए तो अंजाम अच्छा नहीं होगा.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अहमदाबाद के एक गांव में सामाजिक संस्था उत्तर भारतीय विकास परिषद ने असुरक्षित प्रवासियों के लिए 'गुप्त' सुरक्षित ठिकाने बनाए हैं. इन ठिकानों में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश से आए लोगों ने शरण ले रही है.

उत्तर भारतीय विकास परिषद के अध्यक्ष श्याम ठाकुर ने कहा, ''जब तक स्थिति नियंत्रण में नहीं आ जाती इन लोगों के लिए अस्थायी व्यवस्था की गई है. हम इन लोकेशन का पता नहीं लगने दे सकते. काफी मेहनत के बाद हमने इन जगहों को चुना है.''

सोमवार को इस शेल्टर हाउस में उत्तर प्रदेश के 18-28 साल के युवाओं का समूह भी आया. उत्तर भारतीय विकास परिषद के सदस्य दीपक दुबे ने बताया, ''ये इन लोगों के लिए सुरक्षित जगह है. यह गांव वातवा विधानसभा में आता है जो गृह मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा का क्षेत्र है, इसलिए यहां कानून व्यवस्था की कोई समस्या नहीं है. इसके साथ ही यहां के लोग शिक्षित हैं और स्थानीय लोगों, पुलिस और परिषद के सदस्य आपस में बैठक करते रहे हैं.''

इस शेल्टर हाउस में रुके उत्तर भारतीय राजधानी गांधीनगर में एक स्नैक्स फैक्ट्री में काम करते थे. शनिवार शाम को फैक्ट्री में भीड़ घुसी और उन्हें गुजरात छोड़ जाने की धमकी दी और मारपीट की. कानपुर के रहने वाले एक युवक ने बताया कि हम लोग यूपी से थे इसलिए हम पर हमला किया गया.

उत्तर भारतीय विकास परिषद का गठन साल 2016 में हुआ था. यह संस्था एक ट्रस्ट चलाती है. इस ट्रस्ट में यूपी, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और हरियाणा के लोग शामिल हैं. इस समय इसके 32,000 से ज्यादा सदस्य हैं, जो अलग अलग राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हुए हैं.