Imran Masood on Waqf Amendment Bill 2025: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 आज लोकसभा में पेश किया जाएगा. इस पर चर्चा के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 8 घंटे का समय निर्धारित किया है. इस विधेयक को लेकर सियासत जारी है. विधेयक के विरोध में कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सरकार वक्फ संपत्तियों को सरकारी प्रॉपर्टी बनाने की साजिश कर रही है. उन्होंने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्तियां हैं, जिन्हें अब सरकारी संपत्ति घोषित किया जा रहा है.
इमरान मसूद ने लगाया आरोप
इमरान मसूद ने आरोप लगाया कि सरकार ने वक्फ कानून में बदलाव करने का दावा किया था, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. उन्होंने कहा, "हम सदन में चर्चा करने के लिए तैयार हैं... सरकारी बार-बार कह रही है कि मुस्लिम समुदाय का कुछ नहीं बगड़ेगा लेकिन सरकार ने इसमें (वक्फ) संशोधन करके यह प्रावधान कर दिया है कि कोई भी संपत्ति जो सरकारी हो, जिसमें सरकारी हिस्सेदारी हो या वे विवादास्पद हो, उसे जब तक वक्फ नहीं माना जाएगा तब तक उसकी जांच पदाभिहित अधिकारी को दी जाएगी. जब तक जांच नहीं होगी तब तक वह संपत्ति वक्फ की नहीं रहेगी... विवाद की जो स्थिति पूरे देश में खड़ी हुई है वह बहुत खतरनाक है... संविधान के साथ पूरी तरह से मजाक किया जा रहा है."
सरकार का क्या है पक्ष
सरकार का कहना है कि वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन का मकसद पारदर्शिता बढ़ाना और वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करना है. सरकार के अनुसार, इस विधेयक से वक्फ बोर्डों के कामकाज में सुधार होगा और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी.
विपक्ष करेगा पुरजोर विरोध
तमाम विपक्षी दल और मुस्लिम संगठन इस विधेयक के विरोध में खड़े हैं और इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताया जा रहा है. आज लोकसभा में ये विधेयक पेश होना है. ऐसे में इस पर तीखी बहस होने की संभावना है.
करीब 40 बदलाव करना चाहती है सरकार
बता दें, केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में करीब 40 बदलाव करना चाहती है. एक अहम बदलाव वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश हो सकता है. इसका मकसद महिलाओं और अन्य मुस्लिम समुदाय की सहभागिता को बढ़ाना है. साथ ही नए बिल में बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाया जा सकता है. विधेयक पर चर्चा और उसके बाद उसे मंजूरी मिलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा निचले सदन में एनडीए की संख्यात्मक श्रेष्ठता का दावा करने के लिए शक्ति प्रदर्शन के अवसर के रूप में भी देखा जा रहा है.
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