नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के अनाज मंडी अग्निकांड के बाद अवैध फैक्ट्रियां रातों रात खाली हो रही हैं. सीलिंग के डर से फैक्ट्री मालिकों में भगदड़ मच गई है. फैक्ट्री मालिक ट्रकों और टेंपो में अपना सामान भरकर दूसरी जगह ले जा रहे हैं. कल कई सरकारी एजेंसियों ने इलाके का दौरा किया था. दिल्ली में फिल्मीस्तान की अनाज मंडी इलाके में रविवार को हुए भीषण अग्निकांड में 43 लोगों की मौत हो गई थी.


अनाज मंडी में लगी आग के बाद एरिया की पड़ताल शुरू


अनाज मंडी इलाके के लोगों को जान के खतरे से ज़्यादा व्यापार की चिंता है. लोगों का कहना है कि इस हादसे के बाद छोटे व्यापारों पर सीलिंग की तलवार लटक रही है. हमारा बहुत नुकसान होगा और कहीं और काम नहीं मिलेगा. यहां और भी कई छोटे उद्योग चलते हैं. बता दें कि अनाज मंडी में लगी आग के बाद  सरकारी एजेंसियों ने एरिया की पड़ताल शुरू कर दी है.


बिल्डिंग का मालिक 14 दिनों की पुलिस हिरासत में


वहीं, दिल्ली की एक अदालत ने अनाज मंडी इलाके की चार मंजिला इमारत के मालिक और प्रबंधक को सोमवार को 14 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. पुलिस ने रेहान और फुरकान की हिरासत की मांग की, जिसे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनोज कुमार ने मंजूर कर लिया. अदालत ने कहा कि घटना की विभीषिका को देखते हुए इसकी बहुआयामी जांच की जरूरत है और इसलिए आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजे जाने की जरूरत है.


पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या और आग के संदर्भ में लापरवाह रवैया अपनाने के लिए भादंसं की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया था. मामला अपराध शाखा के पास भेज दिया गया है. सुनवाई के दौरान पुलिस ने अदालत से कहा कि शुरुआती जांच से पता चला है कि कुछ अन्य आरोपी थे और उनकी भूमिका का पता लगाने के लिए दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इमारत में प्राधिकरणों से मंजूरी के बगैर फैक्टरी चलती थी.

यह संवेदनशील मामला है- पुलिस


पुलिस ने कहा कि भवन के तीन मालिक थे और उन्होंने अलग-अलग लोगों को भवन किराये पर दे रखा था, जिनकी भूमिका की भी जांच किया जाना है. पुलिस ने कहा, ‘‘यह संवेदनशील मामला है. अधिकतर लोग दूर दराज के इलाकों से थे. अभी तक मृतकों के नाम और पते की भी पहचान नहीं हुई है. यह जटिल प्रक्रिया है.’’


पुलिस ने बताया, ‘’रेहान और फुरकान बचपन के दोस्त हैं और वे 2003 से एक साथ व्यवसाय कर रहे हैं. दोनों आरोपियों को पुलिस हिरासत में लेना जरूरी है. अन्यथा न्याय नहीं हो पाएगा.’’ दिल्ली सरकार ने अग्निकांड की जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे और सात दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा. साल 1997 में हुए उपहार अग्निकांड के बाद यह सबसे भीषण आग त्रासदी थी. मरने वाले अधिकतर लोग बिहार और उत्तरप्रदेश के प्रवासी मजदूर थे.


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