नई दिल्ली: राफेल डील पर चल रहे विवाद के बीच फ्रांस के राष्ट्रपति का बड़ा बयान आया है. राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कहा कि मोदी सरकार चाहे तो राफेल डील की बारीकियों को विपक्ष को बता सकती है. इससे हमें कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने कहा कि फ्रांस सरकार इसका विरोध नहीं करेगी.
एक भारतीय पत्रिका को दिए साक्षात्कार में मैक्रों ने कहा कि सौदे में आर्थिक, औद्योगिक और रणनीतिक हितों का पूरा ध्यान रखा गया है. उन्होंने कहा, "यह सौदा मेरे कार्यकाल में नहीं किया गया है लेकिन मेरा मानना है कि इससे दोनों देशों को फायदा होगा." उन्होंने कहा कि यह सौदा भारत के सुरक्षा लिहाज से बेहतर है.
आज फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैनुअल मैक्रों अपनी पत्नी के साथ भारत पहुंचेंगे. उनकी यात्रा को लेकर देश में तैयारियां जोरों पर है. पीएम मोदी के साथ आर्थिक, राजनीतिक, रणनीतिक और न्यूक्लियर पावर जैसे मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है. मैनुअल मैक्रों की ये पहली भारत यात्रा है. इस दौरान वे मिर्जापुर और वाराणसी जाएंगे.
राफेल डील में क्या है?
राफेल डील में 50 प्रतिशत ऑफसेट क्लॉज यानि प्रावधान है. यानि इस सौदे की पचास प्रतिशत कीमत को रफाल बनाने वाली कंपनी, दसॉल्ट को भारत में ही रक्षा और एयरो-स्पेस इंडस्ट्री में लगाना होगा. इसके लिए दसॉल्ट कंपनी ने भारत की रिलायंस इंडस्ट्री से करार किया है. अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस इंडस्ट्री ने जो कंपनी बनाई है, उसके साथ मिलकर दसॉल्ट कंपनी भारत में ज्वाइंट वेंचर कर रही है. ये दोनों मिलकर भारत में नागरिक विमानों के स्पेयर पार्ट्स बनाने जा रही हैं.
हालांकि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया था कि "36 राफेल आईजीए (इंटर गर्वमेंटल एग्रीमेंट) में ऑफसेट्स की मात्रा 50 प्रतिशत है, जिसमें योग्य उत्पादों और सेवाओं के निर्माण या रखरखाव के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में निवेश शामिल हैं