IAF Chief Marshal AP Singh: एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने शुक्रवार (28 फरवरी, 2025) को कहा कि भारत को हर साल कम से कम 40 से 50 लड़ाकू विमान बनाने की जरूरत है, जिससे कि पुराने वाले विमानों को बदला जा सके. उन्होंने ये भी कहा कि इस टारगेट को पूरा करना असंभव नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि एयरफोर्स स्वदेशी सिस्टम को प्राथमिकता देगी, भले ही वह थोड़ा कम प्रदर्शन करे.
यूट्यूब चैनल चाणक्य डायलॉग्स के कॉन्क्लेव में बोलते हुए एयर चीफ मार्शल ने कहा कि मैं अपने मन में पूरी तरह आश्वस्त हूं कि भले ही स्वदेशी प्रणाली मुझे थोड़ा कम प्रदर्शन दे. अगर यह विश्व के बाजार में मुझे मिलने वाले सिस्टम का 90 या 85 प्रतिशत है तो हम स्वदेशी सिस्टम का ही चयन करेंगे क्योंकि यही एकमात्र तरीका है जिससे हम अपने सिस्टम को पाने के लिए हमेशा बाहर की ओर देखने से बच सकते हैं.
उन्होंने ये भी कहा कि साथ ही स्वदेशी सिस्टम रातोंरात नहीं बन सकता. इसमें समय लगेगा और इसे समर्थन की जरूरत होगी. इसलिए, इसके लिए भारतीय वायुसेना किसी भी आर एंड डी प्रोजेक्ट के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
‘देश को हर साल 40 से 50 लड़ाकू विमान बनाने की जरूरत’
वायुसेना प्रमुख ने आगे कहा कि भारत को हर साल कम से कम 35-40 लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता विकसित करने की जरूरत है, ताकि पुराने हो रहे बेड़े को बदलने की जरूरतें पूरी की जा सकें. उन्होंने आग कहा, ‘मैं समझता हूं कि ये क्षमताएं रातों-रात नहीं आ सकतीं लेकिन हमें खुद को इस दिशा में आगे बढ़ाना होगा. अगर कोई निजी उद्योग मेक इन इंडिया के लिए आता है तो हम उनकी तरफ से हर साल शायद 12-18 विमान और जोड़ सकते हैं. ऐसे में हम उस संख्या तक पहुंच रहे हैं तो यह संभव है.’
लंबी लड़ाइयों को लेकर क्या बोले वायुसेना चीफ?
उन्होंने लंबी लड़ाइयों से लड़ने के लिए घरेलू रक्षा उपकरणों के महत्व पर भी जोर दिया. वायुसेना प्रमुख ने कहा, "हमें इस लंबी लड़ाई को लड़ने में सक्षम होना चाहिए, जिसके लिए हमें युद्ध के दौरान हथियारों के लिए जरूरी उत्पादन दर तय करने की क्षमता की जरूरत है." उन्होंने कहा कि लंबे युद्ध की स्थिति में भारत को उपलब्ध संसाधनों के मिश्रण पर निर्भर रहना होगा और यह विश्वास रखना होगा कि उद्योग जरूरी हथियार बना सकता है.
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