दशहरा उत्सव के दौरान हैदराबाद के सरूर नगर चेरुवु में दुर्गा माता की प्रतिमा विसर्जन के क्रम में एक क्रेन के पलट जाने से बड़ा हादसा टल गया. दोषपूर्ण क्रेन के तालाब में गिरने से किसी के हानि की कोई खबर नहीं है, लेकिन यदि यह सड़क की ओर गिरती तो भारी संख्या में लोगों की जान जा सकती थी. घटना के पीछे अनुभवहीन कंपनी को ठेका देने और रखरखाव की कमी का मामला सामने आया है, जिस पर GHMC अधिकारियों की जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं.
दोपहर के समय सरूर नगर चेरुवु के किनारे भारी भीड़ के बीच दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन चल रहा था. प्रतिमा को पानी में उतारने के लिए इस्तेमाल की जा रही क्रेन अचानक संतुलन खो बैठी और तालाब में गिर गई. वीडियो फुटेज में साफ दिख रहा है कि क्रेन का जिब (बूम) टूटने के बाद पूरा यंत्र पानी में धंस गया. सौभाग्य से, यह घटना चेरुवु के बीचों-बीच हुई, जिससे आसपास खड़े श्रद्धालु बच गए. यदि क्रेन सड़क की ओर गिरती, तो शोभायात्रा में शामिल सैकड़ों लोगों को नुकसान पहुंच सकता था.
कमीशन के लालच में दिया काम
स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं ने कहा कि क्रेन के गिरते ही चीख-पुकार मच गई. एक आदमी ने कहा कि हम लोग प्रतिमा के पास ही खड़े थे, लेकिन ईश्वर की कृपा से किसी को चोट नहीं लगी. GHMC की टीम ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया और क्रेन को पानी से निकाल लिया. पुलिस ने मौके पर सुरक्षा बढ़ा दी है. अधिक चिंताजनक बात यह है कि GHMC अधिकारियों ने कथित रूप से कमीशन के लालच में इस कंपनी को 43 प्रतिशत कम राशि पर ठेका दिया. सामान्य बोली से काफी कम दर पर मिले इस अनुबंध से संदेह गहरा गया है. यही नहीं, इसी कंपनी को शहर के विभिन्न स्थानों पर कई ठेके सौंपे गए हैं, जिनमें टैंक बंड पर भी शामिल है. विपक्षी दलों ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि "जनजीवन से खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए."
GHMC आयुक्त की प्रतिक्रिया GHMC आयुक्त ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हम जांच के आदेश दे चुके हैं. यदि लापरवाही पाई गई, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. भविष्य में ठेकेदारी प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जाएगा." विशेषज्ञों का मानना है कि क्रेनों की नियमित जांच और अनुभवी कंपनियों को प्राथमिकता देने से ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है.
दुर्गा विसर्जन के लिए GHMC की व्यवस्था हैदराबाद में इस साल दुर्गा विसर्जन के लिए GHMC ने 74 कृत्रिम तालाब और 20 प्रमुख झीलों की व्यवस्था की थी, जिसमें सरूर नगर चेरुवु भी शामिल है. 140 बड़े क्रेन और 20,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद, यह घटना सुरक्षा प्रोटोकॉल में खामियों को उजागर करती है. शहरवासी अब उम्मीद कर रहे हैं कि पर्व की धूम के साथ-साथ सुरक्षा भी प्राथमिकता बने.
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