केंद्र सरकार ने हाल ही में यूएपीए के तहत स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर 'गैरकानूनी संगठन' के रूप में प्रतिबंध को पांच सालों के लिए बढ़ा दिया था. ताजा घटनाक्रम में अब गृह मंत्रालय ने प्रदेशों को भी वो पावर दे दी है, जिसके तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी यूएपीए के तहत इस संगठन को गैरकानूनी घोषित कर सकते हैं.

  


बीते महीने के आखिर में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नया आदेश जारी करते हुए पहले से ही प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी (SIMI) पर पांच साल के लिए बैन बढ़ा दिया था. सिमी पर ये कार्रवाई यूएपीए कानून के तहत की गई है.


पांच सालों के लिए बढ़ाया गया SIMI पर बैन
गृह मंत्रालय ने एक्स पर इसे लेकर जानकारी साझा की थी. इस पोस्ट में लिखा गया था कि आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीरो टॉलरेंस के दृष्टिकोण के तहत 'स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया' को यूएपीए के तहत अगले पांच सालों के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है.


'देश के खिलाफ कार्यों में लिप्त है सिमी'
केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि सिमी को भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को खतरे में डालने के लिए, आतंकवाद को बढ़ावा देने, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने में शामिल पाया गया है.


यूपी के अलीगढ़ में हुई थी SIMI की स्थापना
25 अप्रैल 1977 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 'स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया' यानी सिमी की स्थापना हुई थी. मोहम्मद अहमदुल्ला सिद्दीकी इस संगठन के संस्थापक अध्यक्ष थे. सिमी संगठन का मिशन भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है.


अटल सरकार में हुई थी पहली बार कार्रवाई
सिमी पर पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 2001 में प्रतिबंध लगाया गया था. हालांकि, अगस्त 2008 में एक विशेष न्यायाधिकरण की ओर से प्रतिबंध हटा दिया गया था, लेकिन 6 अगस्त 2008 को राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने प्रतिबंध को फिर से बहाल कर दिया था. सिमी पर पिछली बार 31 जनवरी, 2019 को बैन लगाया गया था.


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