गृह मंत्रालय का दावा- 21 मार्च से ही शुरू कर दी गई थी तब्लीगी जमात के मामले में कार्रवाई
गृह मंत्रालय का दावा है कि इस मामले में 21 मार्च से ही कार्रवाई शुरू कर दी गई थी.तब्लीग़ी जमात मुख्यालय (मरकज़) दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित है.

नई दिल्ली: निजामुद्दीन तब्लीगी के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय का दावा है कि जमात के तमाम लोगों के बारे में जो 21 मार्च को मौजूद थे, उनके बारे में संबंधित राज्यों को जानकारी साझा करने का काम शुरू कर दिया गया था. गृह मंत्रालय का दावा है कि अब तक अधिकांश लोगों की पहचान कर ली गई है. अब तक दिल्ली में 1339 लोगों को क्वारंटीन केंद्रों में पहुंचाया जा चुका है. मंत्रालय का दावा है कि इस मामले में 21 मार्च से ही कार्रवाई शुरू कर दी गई थी. हालांकि मंत्रालय इस बारे में खामोश है कि यदि 21 मार्च को कार्रवाई शुरू कर दी गई थी तो इतनी बड़ी संख्या में लोग जमात में कैसे थे.
अभी तक जो आधिकारिक तौर पर जानकारियां सामने आई हैं उसके मुताबिक असली कार्रवाई 24 मार्च को शुरू हुई जब अंडमान निकोबार प्रशासन ने अपने यहां जमा 9 लोगों को एयरपोर्ट पर पकड़ा. इन लोगों से पूछताछ के दौरान पता चला कि यह लोग निजामुद्दीन जमात से वापस आ रहे थे और जमात में दो से तीन हजार लोग मौजूद थे. अंडमान निकोबार में जो लोग पकड़े गए उनमें से एक शख्स एयरपोर्ट से निकल भागने में कामयाब हो गया था और कोरोना का कहर उस पर इतना ज्यादा था कि उसने अपने घर जाकर अपनी पत्नी को भी संक्रमित कर दिया था.
24 मार्च को अंडमान निकोबार से जानकारी आने के बाद दिल्ली पुलिस के हजरत निजामुद्दीन एसएचओ ने तब्लीगी जमात को नोटिस जारी कर निर्देश दिए कि वह जगह को खाली करा दें. गृह मंत्रालय के मुताबिक तेलंगाना में COVID-19 पॉजिटिव मामलों के सामने आते ही 21 मार्च, 2020 को सभी राज्यों के साथ भारत में तब्लीग़ी जमात कार्यकर्ताओं का विवरण साझा किया गया.
इस त्वरित कार्रवाई का उद्देश्य COVID-19 पॉजिटिव जमात कार्यकर्ताओं की पहचान करना, उन्हें अलग करके क्वारंटीन करना था, जिससे देश में COVID-19 को और फैलने से रोका जा सके. इस संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और डीजीपी के साथ-साथ सीपी, दिल्ली को भी निर्देश जारी किए गए थे. 28 और 29 मार्च को भी DIB द्वारा सभी राज्य डीजीपी को इस विषय में पत्र लिखे गए.
इस बीच, दिल्ली के निजामुद्दीन के मरकज़ में रहने वाले जमात कार्यकर्ताओं को भी राज्य के अधिकारियों और पुलिस ने मेडिकल स्क्रीनिंग के लिए अनुरोध किया. 29 मार्च तक, लगभग 162 जमात कार्यकर्ताओं को चिकित्सकीय रूप से जांचा गया और क्वारंटीन केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया.
अब तक 1339 जमात कार्यकर्ताओं को एलएनजेपी, आरजीएसएस, जीटीबी, डीडीयू अस्पतालों और ऐम्स, झज्जर के अलावा नरेला, सुल्तानपुरी और बक्करवाला क्वारंटीन केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है. उनमें से बाकी को वर्तमान में COVID-19 संक्रमणों के लिए चिकित्सकीय रूप से जांचा जा रहा है.
आमतौर पर, भारत आने वाले तब्लीग़ी जमात से जुड़े सभी विदेशी नागरिक पर्यटक वीजा पर आते हैं. गृह मंत्रालय द्वारा पूर्व में जारी दिशा-निर्देश के अनुसार जमात के इन विदेशी कार्यकर्ताओं को पर्यटक वीजा पर मिशनरी काम में शामिल नहीं होना चाहिए. इस संबंध में सभी राज्य पुलिस इन सभी विदेशी जमात कार्यकर्ताओं के वीजा की श्रेणियों की जांच करेगी और वीजा शर्तों के उल्लंघन के मामले में आगे की कार्रवाई करेगी.
पृष्ठभूमि
तब्लीग़ी जमात मुख्यालय (मरकज़) दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित है. धार्मिक उद्देश्य के लिए देश भर और विदेशों से मुस्लिम मरकज़ जाते हैं. कुछ लोग तब्लीग़ गतिविधियों के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में समूहों में भी जाते हैं. यह पूरे वर्ष एक सतत प्रक्रिया है.
21 मार्च को मिशनरी काम के लिए लगभग 824 विदेशी तब्लीग़ जमात कार्यकर्ता देश के विभिन्न हिस्सों में थे. इसके अलावा, लगभग 216 विदेशी नागरिक मरकज़ में रह रहे थे. इसके अलावा, 1500 से अधिक भारतीय जमात कार्यकर्ता भी मरकज़ में रह रहे थे, जबकि लगभग 2100 भारतीय जमात कार्यकर्ता मिशनरी काम के लिए देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा कर रहे थे. सूत्रों कहना है कि इस मामले में केंद्र सरकार ने 24 मार्च से लेकर 30 मार्च तक की पूरी रिपोर्ट तलब की है और रिपोर्ट की समीक्षा के बाद माना जा रहा है कि इस लापरवाही की गाज दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के कुछ अधिकारियों पर भी गिर सकती है.
Source: IOCL





















