अमित शाह के साथ बैठक के बाद बोले किसान नेता, सरकार कानून वापस लेने को नहीं तैयार
इन नेताओं में अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मोल्लाह और भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत शामिल थे. कुछ किसान नेताओं ने बताया कि यह बैठक पहले शाह के आवास पर होने वाली थी लेकिन बाद में इसे बदल दिया गया.
किसान संगठनों के साथ मंगलवार की रात गृह मंत्री अमित शाह की करीब 2 घंटे से भी ज्यादा देर तक बैठक चली. हालांकि, इसके बाद किसान नेताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार नए कृषि कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नहीं है. ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हनान मोल्ला ने कहा कि सरकार और किसानों के बीच बुधवार को पहले से तय बैठक अब नहीं होगी. उन्होंने आगे कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री की ओर से कहा गया है कि कल किसान नेताओं को सरकार की तरफ से प्रस्ताव दिया जाएगा. उसके बाद किसान नेताओं की तरफ से उस प्रस्ताव पर बैठक की जाएगी. हनन मोल्लाह ने कहा- कल हम दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर स्थित सिंघु बॉर्डर पर दोपहर 12 बजे बैठक करेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, 13 किसान नेताओं को शाह के साथ इस बैठक के लिए बुलाया गया था. बैठक रात 8 बजे शुरू हुई. किसान नेताओं में आठ पंजाब से थे जबकि पांच देश भर के अन्य किसान संगठनों से संबंधित थे. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में शामिल नेताओं में अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मोल्लाह और भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत भी थे. कुछ किसान नेताओं ने बताया कि उन्हें पहले इस बैठक के शाह के आवास पर होने की उम्मीद थी, लेकिन यह राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर, पूसा में हुई.
The Government is not ready to take back the farm laws: Hannan Mollah, General Secretary, All India Kisan Sabha https://t.co/APu8ws5eWS
— ANI (@ANI) December 8, 2020
यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी. हालांकि बैठक को लेकर किसान संगठनों के बीच असंतोष के स्वर उभरने लगे. भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) ने निर्धारित वार्ता से एक दिन पहले अमित शाह के साथ किसानों की बैठक को लेकर सवाल उठाया. प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों में यह सबसे बड़ा संगठन है.
सोशल मीडिया पर साझा की गई एक पोस्ट में जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि आधिकारिक वार्ता से पहले वार्ता की कोई जरूरत नहीं थी. उन्होंने उम्मीद जताई कि बैठक में शामिल नेता सबसे बड़े संगठन के विचार को जरूर ध्यान में रखेंगे। उगराहां को इस बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था. इससे पहले, किसान नेता आर.एस. मानसा ने सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बीच का कोई रास्ता नहीं है। हम आज की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह से केवल ‘हां’ या ‘नहीं’ में जवाब देने को कहेंगे.’’
सिंघु बार्डर पर हजारों की संख्या में किसान पिछले 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान संगठनों के ‘भारत बंद’ के आह्वान के बाद आज देश के कई हिस्सों में दुकानें एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के बंद रहने, यातायात बाधित होने से जनजीवन प्रभावित हुआ. बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़क एवं रेल मार्गों को बाधित किया. हालांकि, बंद लगभग शांतिपूर्ण रहा और किसानों ने अपनी ताकत दिखाई. किसानों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार लगातार कहती रही है कि ये कृषि सुधार कानून किसानों के हित में है और केंद्र सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.
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