Tripura Students HIV: त्रिपुरा से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां प्रदेश में करीब 828 स्टूडेंट्स में एचआईवी संक्रमित होने का पता चला है. जिनमें से 572 छात्र अभी भी जीवित हैं और 47 लोगों की इस खतरनाक संक्रमण के कारण मौत हो गई है. हालांकि, एचआईवी आंकड़ों पर रिपोर्ट सामने आने के बाद से हड़कंप मच गया. जिसके बाद त्रिपुरा सरकार ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि दिए गए आंकड़े 25 सालों की अवधि के हैं.

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दरअसल, News 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, एचआईवी से पीड़ित कई छात्र देश के अलग-अलग राज्यों की यूनिवर्सिटी या बड़े कॉलेजों में एडमिशन लेकर पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं, त्रिपुरा सरकार ने स्पष्टीकरण जारी करके कहा कि त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (टीएसएसीएस) ने अप्रैल 1999 से अपनी यात्रा शुरू की थी. टीएसएसीएस के अनुसार, 1999 से अब तक त्रिपुरा में 828 छात्र एचआईवी पॉजिटिव पाए गए, जिनमें से 572 छात्र अभी भी जीवित हैं, जबकि 47 अन्य की जान चली गई है.

स्टूडेंट नशे के लिए करते हैं इंजेक्शनों का इस्तेमाल- TSACS

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इस दौरान त्रिपुरा एड्स नियंत्रण सोसाइटी (टीएसएसीएस) के अधिकारियों ने कहा कि एचआईवी के मामलों में बढ़ोत्तरी का कारण छात्रों में नशीली दवाओं का दुरुपयोग हो सकता है. टीएसएसीएस ने लगभग 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ऐसे छात्रों की पहचान की है जो इंजेक्शन के जरिए नशीली दवाएं लेते हैं.

ज़्यादातर मामलों में बच्चे अमीर परिवारों से होते- TSACS

वहीं, टीएसएसीएस के संयुक्त निदेशक ने बताया, कि "अब तक 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की पहचान की गई है, जहां छात्रों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग की लत पाई गई है. हमने राज्य भर में कुल 164 स्वास्थ्य सुविधाओं से डेटा इक्ठ्ठा किया है. उन्होंने आगे कहा, "ज़्यादातर मामलों में बच्चे अमीर परिवारों से होते हैं, जो एचआईवी से संक्रमित पाए जाते हैं.

हालांकि, ऐसे परिवार भी हैं, जहां माता-पिता दोनों ही सरकारी नौकरी में हैं और वे बच्चों की मांगों को पूरा करने में संकोच नहीं करते. जब तक उन्हें एहसास होता है कि उनके बच्चे नशे की गिरफ़्त में आ गए हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

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