Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 12 नवंबर को हुई वोटिंग के नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे. हालांकि, सोमवार 5 दिसंबर को सामने आए एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच काटे की टक्कर देखने को मिली है.  एबीपी न्यूज-सी वोटर के एग्जिट पोल में 33 से 41 सीटों के साथ बीजेपी वापसी के संकेत दे रही है तो वहीं कांग्रेस के खाते में भी 24-32 सीटें जा सकती हैं. 

राज्य में कांग्रेस का बीजेपी को टक्कर देना और 24 से 32 सीटों पर जीत हासिल करने के संकेत के कई कारण हो सकते हैं. इसमें ओल्ड पेंशन स्कीम अहम देखी जा रही है. 

आइये समझते हैं किन कारणों के चलते हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस बीजेपी को टक्कर देने में सफल रही है....

कांग्रेस राज्य में चुनाव प्रचार के लिए एड़ी चोटी लगाते दिखी थी. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में मोर्चा संभालते हुए जनता से सीधा संपर्क साधा. राज्य में राहुल गांधी को छोड़ पार्टी के तमाम बडे़ नेता प्रचार मैदान में कूदते दिखाई दिए. खुद सोनिया गांधी भी शिमाला में दिखीं हालांकि वो चुनाव प्रचार से दूर रहीं. इसके अलावा, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, रणदीप सुरजेवाला, अलका लांबा समेत कई बड़े नेता चुनाव प्रचार का हिस्सा बने.

1500 रुपये प्रति महीना...

वहीं, पार्टी के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम भी एक ट्रंप कार्ड की तरह साबित होते दिख रही है. इसके अलावा कांग्रेस की कई योजनाएं और वादे भी लोगों को प्रभावित करते दिख रहे हैं. 18 साल से बड़ी सभी महिलाओं को प्रति महीने 1500 रुपये देने की गारंटी से लेकर 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा कांग्रेस के पक्ष में साबित होते दिख रहा है. 

बीजेपी को इन कारणों के चलते लग सकता है झटका...

जानकारों के मुताबिक, बीजेपी को सबसा बड़ा झटका राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम के चलते लगा है. इसके अलावा, राज्य में महंगाई, बेरोजगारी समेत 5 साल की एंटी इनकंबेंसी ने भी पार्टी को नुकसान पहुंचाया है. साथ ही कोरोना के दौरान सेहत विभाग में घोटाला, पुलिस भर्ती पेपर लीक भी बीजेपी के खिलाफ दिखीं. 

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