नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने आप सरकार से जानना चाहा कि क्या उन लोगों को मुआवजा देने के लिए कोई नीति है जो बरी हो जाते हैं या जो जमानत पर जेल से बाहर आ जाते हैं.
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने एक बस कंडक्टर के मामले का जिक्र किया, जिसे शुरु में रयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या का आरोपित किया गया लेकिन हाल ही उसे जमानत मिल गयी.
न्यायालय ने पूछा कि अब वह जमानत पर है और उसी की भांति बहुत सारे लोग हैं, ऐसे में क्या उन्हें कोई मुआवजा देने की कोई नीति है.
पीठ ने कहा, "यदि नहीं, तो सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए क्योंकि क्या आप (दिल्ली सरकार) हमें यह बता सकते हैं कि इस बस कंडक्टर को अब कौन नौकरी देगा. यह बस उसकी बात नहीं है, ढेरों ऐसे लोग हैं जो हिरासत में रहने के बाद जब वे जेल से बाहर आते हैं तो वे अपना परिवार नहीं चला पाते हैं."