हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में चंडीगढ़ के मुद्दे पर एक प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम से संबंधित सभी चिंताओं को दूर किए जाने तक केंद्र सरकार से मुद्दे पर कोई कदम नहीं उठाने का अनुरोध किया. सदन ने केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण के लिए कदम उठाने का भी अनुरोध किया है.


BBMB यानी भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में केंद्र के सदस्य की नियुक्ति को लेकर हरियाणा भी पंजाब विधानसभा में पास प्रस्ताव से सहमत है. लेकिन चंडीगढ़ के कर्मचारियों को केंद्रीय सर्विस रूल्स के तहत लाने को लेकर पंजाब विधानसभा में पारित केंद्र के खिलाफ प्रस्ताव की हरियाणा विधानसभा में निंदा की गई. 


CM मनोहर लाल ने कहा, चंडीगढ़ पर हरियाणा का हक है. शाह कमीशन की रिपोर्ट में भी चंडीगढ़ को हरियाणा को सौंपने का जिक्र है. CM खट्टर ने कहा हरियाणा का चंडीगढ़ में अलग हाईकोर्ट होना चाहिए और SYL नहर का पानी भी हरियाणा को मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को एक राय से मसला सुलझाने को कहा था लेकिन अब समय हो चुका है इसलिए हरियाणा सरकार केंद्र को SYL नहर के निर्माण के लिए लिखेगी.


यह कदम पंजाब विधानसभा की ओर से चंडीगढ़ को तत्काल राज्य को स्थानांतरित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने के कुछ दिनों बाद आया है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर केंद्र-शासित प्रदेश के प्रशासन के साथ-साथ साझा संपत्तियों में संतुलन बिगाड़ने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया था. चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी है.


हरियाणा विधानसभा के स्पेशल सेशन के दौरान सीएम मनोहर लाल की ओर से पेश प्रस्ताव के मुताबिक, 'यह सदन पंजाब विधानसभा में एक अप्रैल 2022 को पारित प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त करता है, जिसमें सिफारिश की गई है कि चंडीगढ़ को पंजाब में ट्रांसफर करने के मामले को केंद्र सरकार के सामने उठाया जाए.'


प्रस्ताव में कहा गया, 'पूर्णकालिक सदस्यों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार की ओर से बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) के नियमों में हालिया संशोधन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की भावना के खिलाफ है, जो नदी परियोजनाओं को पंजाब और हरियाणा की साझा संपत्ति मानता है.'


प्रस्ताव के मुताबिक, 'इन परिस्थितियों में इस सदन ने केंद्र सरकार से आग्रह करने का संकल्प किया है कि वह ऐसा कोई कदम न उठाए, जो मौजूदा संतुलन को बिगाड़े और जब तक पंजाब के पुनर्गठन से पैदा सभी मुद्दों का समाधान न हो जाए, तब तक सद्भाव बनाए रखे.'


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