नई दिल्लीःआज शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वीकार कर लिया है. हरसिमरत कौर ने कल शाम मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. हरसमिरत कौर बादल खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री थीं और कल उन्होंने संसद में पेश किए गए कृषि से जुड़े दो विधेयकों के विरोध में इस्तीफा दे डाला.


कौन हैं हरसिमरत कौर बादल, जानिए उनके बारे में
भारत सरकार के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल अपने संसदीय क्षेत्र भटिंडा से साल 2009 से लगातार लोकसभा की सांसद हैं. हरसिमरत कौर गुड़गांव ट्राइडेंट होटल में अपना निजी ज्वैलरी व्यवसाय भी चलाती हैं. इसके अलावा, वह एक फैशन डिजाइनर हैं.


व्यक्तिगत जीवन
हरसिमरत कौर का जन्म 25 जुलाई, 1966 को दिल्ली के एक सिख परिवार में हुआ था. उन्होंने लारेटो कॉन्वेंट स्कूल, नई दिल्ली से शिक्षा प्राप्त की है. हरसिमरत कौर ने मैट्रिक्यूलेट और वस्त्र डिजाइन में डिप्लोमा भी किया है. हरसिमरत कौर बादल का विवाह 21 नवंबर 1991 को सुखबीर सिंह बादल से हुआ. जो पंजाब की राजनीति में एक बड़ा नाम है. हरसिमरत कौर बादल की दो बेटियां और एक बेटा है.


राजनीतिक सफर
हरसिमरत कौर बादल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2009 के भारतीय आम चुनावों के साथ की थी. इन चुनावों में शिरोमणि अकाली दल से हरसिमरत कौर बादल ने चुनाव लड़ा जिसमें उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार राहींदर सिंह को 120960 मतों से हराया और भटिंडा विधानसभा क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा सदस्य चुनी गई. हरसिमरत कौर बादल ने अपने पहले भाषण में 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों के पीड़ितों और उनके परिवार के बारे में चिंता व्यक्त की. इसके बाद हरसिमरत कौर बादल ने 2014 के भारतीय आम चुनावों में भटिंडा सीट से पुन: जीत प्राप्त की और मोदी सरकार के अंतर्गत केंद्रीय खाद्य मंत्री के पद पर नियुक्त हुईं थीं.


समाजिक कार्य
समाजिक कार्यों में भी हरसिमरत कौर काफी सक्रिय हैं. हरसिमरत कौर बादल को मुख्य रुप से पंजाब में घट रहे महिला लिंग अनुपात के विरुद्ध और वृक्षों को बचाने के लिए चलाए जा रहे ‘नन्ही छां’ अभियान के लिए जाना जाता है. इस अभियान के तहत राज्य में कन्‍या भ्रूण हत्‍या और अन्‍य मामले जैसे कि कैंसर से निपटने, कृषि, किसानों की समस्‍याएं, पर्यावरण संबंधी समस्‍याएं और लगातार कम हो रहे जंगलों के बारे में लोगों को जागरूक करने का प्यास किया गाया. इस अभियान के माध्यम से पंजाब के गावों में 75 सि‍लाई केन्‍द्र खोले गए हैं जिसमें सैकड़ों महिलाएं काम करती हैं.





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