Habba Kadal Bridge: जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत पुराने इलाकों में बदलाव दिया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत ऐतिहासिक हब्बा कदल पुल को रेनेवोट किया गया है. हब्बा कदल पुल की सूरत बदलने से आम लोग काफी खुश हैं. लोगों को उम्मीद है कि यह पुल अच्छे दौर को वापस लाने में मददगार साबित होगा.

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार (16 जनवरी) को इसका उद्घाटन किया था. इस अवसर पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा था कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शहर में दोबारा डिजाइन किया गया पुराना हब्बा कदल पुल शेर-ए-खास के लोगों के लिए एक उपहार है.

इस संबंध में एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, "हम हब्बा कदल को नए डिजाइन और नए लुक में देखकर खुश हैं और हमें विश्वास है कि ये पुल कश्मीरी पंडितों के लिए नया कश्मीर वापस लेकर लाएगा."

80 के दशक के अंत में किया गया था असुरक्षित घोषितइस पुल को 80 के दशक के अंत में असुरक्षित घोषित कर दिया गया था और यातायात के उपयोग के लिए बगल में एक नया पुल बनाया गया, लेकिन पुराने लकड़ी के पुल से लाखों कश्मीरी पंडितों की यादें जुड़ी हुई हैं. 1989 में आतंकवाद की शुरुआत से पहले हब्बा कदल क्षेत्र श्रीनगर शहर में कश्मीरी पंडितों की सबसे बड़ी आवासीय बस्ती हुआ करती थी.

लोगों में खुशी का माहौलकश्मीर की पुरानी यादों की यह नई तस्वीर दिलचस्प है. पुल के पुननिर्माण से लोग न केवल खुश हैं, बल्कि उम्मीद कर रहे हैं कि यह पुल समुदायों के बीच दूरियों को पाटने में मददगार साबित होगा. इस क्षेत्र में मुस्लिम और कश्मीरी पंडित एक साथ रहते थे और कई कश्मीरी पंडितों ने अपना बचपन इस पुल और इसके आसपास की सड़कों पर बिताया.

1990 में जब आतंकवाद का दौर शुरू हुआ तो कश्मीरी पंडित सबकुछ छोड़कर यहां से पलायन कर गए. स्थानीय लोगों में 33 साल बाद भी यहां की यादें दिलो-दिमाग में ताजा हैं. पुल के एक किनारे पर प्राचीन मंदिर और दूसरे किनारे पर मस्जिद आज भी यहां के लोगों को कश्मीरी पंडितों की कमी का एहसास कराती है.

कश्मीरी पंडितो से जुड़ी हैं यादेंइस ऐतिहासिक घटना पर एबीपी न्यूज से बात करते हुए स्थानीय मुसलमानों ने कहा कि कश्मीरी पंडितों और मुसलमानों ने अपना बचपन एक साथ बिताया, यहां मंदिर और मस्जिद एक साथ हैं. हालांकि, बाद में हालात खराब हो गए और कश्मीरी पंडित यहां से चले गए, लेकिन हम उनकी यादें आज तक नहीं भूले हैं.

एक अन्य स्थानीय गुलाम रसूल ने कहा कि इस ऐतिहासिक पुल को नए डिजाइन के साथ रेनोवेट किया गया है. यह बहुत खुशी की बात है कि इससे पर्यटन बढ़ेगा, व्यापार में प्रगति होगी, लेकिन हम चाहते हैं कि कश्मीरी पंडित भी अपने घर लौटें और हम खुले दिल से उनका स्वागत करेंगे.

इस संबंध में श्रीनगर नगर निगम के आयुक्त डॉ ओवैस अहमद ने कहा कि यह पुल एक पर्यटन स्थल बन जाएगा, जो विभिन्न राज्यों और देशों से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करेगा और यह श्रीनगर में एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में काम करेगा.

यह भी पढ़ें- सुनंदा पुष्कर की 10वीं पुण्यतिथि पर भावुक हुए शशि थरूर, शेयर की ये तस्वीरें