प्रवर्तन निदेशालय के गुरुग्राम जोनल ऑफिस ने बैंक धोखाधड़ी से जुड़े एक मामले में 7 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया है. इन संपत्तियों की कुल कीमत 110 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है. ये कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई है. ये मामला लक्षाणी इंडिया लिमिटेड, लक्षाणी रबर उद्योग प्राइवेट लिमिटेड, लक्षाणी अपैरल प्राइवेट लिमिटेड और उनकी अन्य ग्रुप कंपनियों से जुड़ा हुआ है.
ED की ये जांच सीबीआई दिल्ली और चंडीगढ़ द्वारा 2021 और 2023 में दर्ज की गई कई एफआईआर के आधार पर शुरू की गई थी. इन मामलों में लक्षाणी इंडिया लिमिटेड और उनकी ग्रुप कंपनियों के प्रमोटर्स पीडी लक्षाणी और सुमन लक्षाणी को आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और बैंकों से फ्रॉड करने का आरोपी बनाया गया है.
बैंक से हुआ था 162 करोड़ का फ्रॉड
जांच में खुलासा हुआ है कि लक्षाणी इंडिया लिमिटेड और उनकी ग्रुप कंपनियों ने मिलकर इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और इलाहाबाद बैंक के साथ धोखाधड़ी की है. आरोप है कि इन कंपनियों ने फंड्स का गलत इस्तेमाल किया, पैसों को दूसरी कंपनियों में डायवर्ट किया और गलत जानकारियां देकर बैंकों को चूना लगाया. इससे बैंकों को लगभग 162 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
कंपनियों ने नुकसान में बेचा अपना सामान
ED की जांच में ये भी सामने आया है कि इन बैंकों द्वारा लक्षाणी ग्रुप को दिए गए बिजनेस और कैपिटल लोन तथा क्रेडिट फैसिलिटी का गलत इस्तेमाल किया गया. प्रमोटर्स के निर्देश पर ग्रुप कंपनियों ने संबंधित कंपनियों को नुकसान में सामान बेचा, सिस्टर कंसर्न कंपनियों के लोन चुकाए और डायरेक्टर्स को असामान्य रूप से ज्यादा ब्याज का भुगतान किया.
ईडी ने क्या-क्या अटैच किया?
अब तक ED ने 5 कमर्शियल प्लॉट्स (20 एकड़ से अधिक), 2 एकड़ का एक फार्महाउस और एनसीआर क्षेत्र में एक कमर्शियल फ्लैट-कम-ऑफिस को अटैच कर लिया है. इस मामले की जांच अभी भी जारी है और आगे और संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं.