हार्दिक पटेल के चुनाव लड़ने पर संकट के बादल, HC का तोड़फोड़ मामले में मिली सजा पर रोक लगाने से इनकार
2015 में आरक्षण आंदोलन के दौरान स्थानीय बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के दफ्तर में तोड़फोड़ के आरोप में हार्दिक पटेल और लाल जी पटेल समेत सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था.

गांधीनगर: हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल की मुश्किलें बढ़ गई हैं. गुजरात के मेहसाणा में एक विधायक के दफ्तर में तोड़फोड़ के मामले में हार्दिक पटेल को मिली सजा पर रोक लगाने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है. ऐसे में हार्दिक पटेल के लोकसभा चुनाव लड़ने पर भी संकट के बादल छा गए हैं. हार्दिक पटेल की जामनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी थी. तोड़फोड़ के इस मामले में हार्दिक पटेल को निचली अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी.
बता दें कि हार्दिक पटेल फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. साल 2015 में आरक्षण आंदोलन के दौरान स्थानीय बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के दफ्तर में तोड़फोड़ के आरोप में हार्दिक पटेल और लाल जी पटेल समेत सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. महसाण और माणसा के बाद बिसनगर में आरक्षण आंदोलन की तीसरी रैली के दौरान ये हमला हुआ था. ये आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा की पहली घटना थी.
क्यों किया था आंदोलन?
साल 2015 से आरक्षण की मांग को लेकर पटेल समुदाय हार्दिक पटेल के नेतृत्व में गुजरात में जगह-जगह आंदोलन किया था. गुजरात में कड़वा, लेउवा और आंजना तीन तरह के पटेल हैं. आंजना पटेल ओबीसी में आते हैं. जबकि कड़वा और लेउवा पटेल ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे हैं.
कौन हैं हार्दिक पटेल?
हार्दिक पटेल गुजरात में पटीदार आंदोलन के बड़े युवा नेता हैं और हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए थे. पाटीदार समुदाय ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण चाहते हैं. हार्दिक पटेल का जन्म 20 जुलाई 1993 में चन्दन नगरी गुजरात में हुआ था. हार्दिक साल 2011 में सरदार पटेल समूह से जुड़े थे. इसके बाद हार्दिक ने साल 2015 में पाटीदार अनामत आंदोलन समिति का निर्माण किया था, जिसका लक्ष्य अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल होना था.
यह भी पढ़ें-
पाकिस्तान लाशें गिनने में लगा हुआ है और विपक्षी सबूत मांग रहे हैं- पीएम मोदी
देखिए नरेंद्र मोदी के 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी' बनने की कहानी | ऑपरेशन 'लालचौक'
वीडियो देखें-
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL





















