सरकार ने लोकसभा में साल 2014-15 से लेकर 2025 तक प्रवर्तन निदेशालय (ED) और इनकम टैक्स (Income Tax Department) की बड़ी कार्रवाइयों का पूरा रिकॉर्ड पेश किया है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दोनों एजेंसियों ने पिछले 11 साल में हजारों केस दर्ज किए, बड़े पैमाने पर रेड की और कई मामलों में कोर्ट में चार्जशीट भी फाइल की है. ये जानकारी लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में दी गई है.
पिछले 10 सालों में इतने केस हुए दर्ज
रिपोर्ट के मुताबिक, ED ने 2014-15 से नवंबर 2025 तक कुल 6444 केस यानी ECIRs दर्ज की है. इनमें मनी लॉन्ड्रिंग के बड़े केस शामिल रहे. कुछ साल ऐसे भी रहे जब केसों की संख्या कई गुना बढ़ी. उदाहरण के तौर पर 2021-22 में 1116 केस और 2020-21 में 996 केस दर्ज हुए.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने इसी अवधि में 13877 चार्जशीट कोर्ट में फाइल की है. खास बात ये है कि 2017-18 और 2018-19 जैसे सालों में इनकम टैक्स (Income Tax) ने रिकॉर्ड संख्या में मामले दर्ज किए. इस दौरान करीबन 4527 और 3512 केस दर्ज किए हैं.
देशभर में इतनी संख्या में हुई रेड
रिपोर्ट में बताया गया है कि ED और Income Tax दोनों ने मिलकर देशभर में 20000 से ज्यादा रेड की और सीजर किए. ED ने 2014-15 से नवंबर 2025 तक 11106 रेड की, जबकि Income Tax ने 9657 ग्रुप पर सर्च की. 2023-24 ED का सबसे एक्टिव साल रहा, जब एजेंसी ने 2600 रेड मारी.
इतनी रही दोषसिद्धि दरसबसे दिलचस्प जानकारी ये है कि ED के मामलों में दोष सिद्ध (Conviction Rate) 94.64% रहा है. यानी PMLA की स्पेशल कोर्ट में जितने मामलों का फैसला हुआ, उनमें से ज्यादातर में दोष साबित हुआ. 01 अप्रैल 2014 से 30 नवंबर 2025 के बीच PMLA कोर्ट ने 56 मामलों में फैसला दिया, जिनमें से 53 मामलों में 121 लोगों को दोषी करार दिया गया.
इतने मामलों में हुई सजाइनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) के मामलों में सजा और बरी होने की संख्या अलग-अलग सालों में काफी बदलती रही. 2014 से 2025 के बीच इनकम टैक्स के 522 मामलों में सजा हुई, जबकि 963 मामलों में आरोपी बरी हुए और 3345 मामले वापस ले लिए गए.
इतने लोगों-संस्थाओं को बनाया आरोपीइनकम टैक्स ने इस अवधि में कुल 2416 चार्जशीट फाइल की और इन मामलों में 16404 लोगों या संस्थाओं को आरोपी बनाया गया. ये दिखाता है कि टैक्स से जुड़े मामलों में विभाग लगातार बड़ी कार्रवाई करता रहा है. सरकार ने ये भी स्पष्ट किया है कि ईडी और इनकम टैक्स दोनों राज्य का डाटा नहीं रखते, इसलिए स्टेट वाइज आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए गए है.