Opposition On Waqf Bill: जेपीसी ने सोमवार (27 जनवरी, 2025) को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) गठबंधन के सदस्यों की ओर से प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया और विपक्ष की ओर से पेश किए गए हर बदलाव को खारिज कर दिया है. इसको लेकर विपक्षी सांसद लगातार विरोध कर रहे हैं. बैठक के बाद विपक्षी गठबंधन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जेपीसी के फैसले का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि सरकार देश में दो तरह के कानून लाना चाहती है और धीरे-धीरे संविधान को खत्म करने की कोशिश की जा रही है. 

प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्षी गठबंधन से डीएमके सांसद ए राजा ने कहा, “सोमवार की बैठक में हमने विस्तृत चर्चा की मांग की, जिसे खारिज कर दिया गया. हमारी ओर से दिए गए संशोधनों को चेयरमैन ने खुद ही वोटिंग करवा कर खारिज कर दिया. नियमों और परंपराओं को ताक पर रख दिया गया.”

‘संविधान की उड़ाई गई धज्जी’

वहीं कांग्रेस के नासिर हुसैन ने जेपीसी के फैसले पर आरोप लगाते हुए कहा, “जेपीसी की बैठक में संविधान की धज्जी उड़ाई गई. सरकार ने मनमानी की. सरकार धीरे-धीरे संविधान बदलने की कोशिश कर रही है. अल्पसंख्यकों के अधिकार को दबाया जा रहा है. देश में दो तरह के कानून बनाना चाहते हैं. एक बहुसंख्यक के लिए दूसरा अल्पसंख्यक के लिए.”

‘95 फीसदी लोग खिलाफ थे बिल के’

नासिर हुसैन ने कहा, “जेपीसी की बैठक में पेश होने वाले 95 फीसदी लोग इस बिल के खिलाफ थे. केवल पांच फीसदी लोग, जो सरकार की ओर से प्रायोजित थे, उन्होंने समर्थन किया. हमने विस्तृत चर्चा और दस्तावेज प्रस्तुत करने की मांग की, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया. वक्फ बिल को लेकर सरकार का मकसद है, दिल्ली चुनाव में फायदा उठाना और अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना.”

‘विपक्ष ने कुल 44 प्रावधान रखे थे’

आसान शब्दों में कहा जाए तो लोकसभा में पेश हुए वक्फ संशोधन बिल में कुल 44 अलग अलग प्रावधान रखे गए थे, लेकिन जब बिल संसद की संयुक्त समिति के सामने आया तो सिर्फ सत्ता पक्ष के 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया.  

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