नई दिल्ली: केंद्र सरकार का एक प्रमुख पैनल 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण में बदलाव की सिफारिश कर सकता है. इस बात की जानकारी हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में दिया गया है. इस लेख में दावा किया गया है कि ओबीसी आरक्षण में बदलाव की सिफारिश करने को लेकर अधिकारियों ने जानकारी दी है. अगर इन सिफारिशों को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है तो देश के सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों में नाटकीय परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि संबंधित पैनल ने ओबीसी आरक्षण के तहत अन्य पिछड़ा वर्गों को तीन उप-वर्गों में बांटने का प्रस्ताव दिया है. यह काम इस आधार पर किया जाएगा कि हरेक वर्ग के लोगों को आरक्षण का कितना फायदा मिला है. मोदी सरकार अपने 100 दिन के एजेंडे के तहत इस प्रस्ताव को लागू करने पर कोई फैसला ले सकती है.
अखबार ने बताया कि देश में इस समय ओबीसी कोटे के तहत 2,633 जातियां हैं. पैनल ने सिफारिश की है कि इन जातियों को तीन भागों में विभाजित किया जाए. जिन्हें आरक्षण का लाभ बिलकुल नहीं मिला है, उनके लिए दस प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए. वहीं, जिन्हें ओबीसी कोटे का थोड़ा लाभ मिला है, उन्हें भी दस प्रतिशत कोटा दिया जाना चाहिए. इसके अलावा जिन्हें सबसे ज्यादा लाभ मिला है, उन्हें सात प्रतिशत कोटे के तहत लाया जाना चाहिए.
अपने पहले परामर्श पत्र जिसकी एचटी द्वारा समीक्षा की गई है, आयोग ने कहा है कि ओबीसी आरक्षण से 25% लाभ केवल 10 उप-जातियों द्वारा लिया गया है. जबकि ओबीसी में कुल 983 उप-जातियां शामिल हैं, जिन्होंने आरक्षण से कोई लाभ नहीं लिया है. पैनल ने ओबीसी के भीतर उप-जातियों की आबादी स्वतंत्रता (जनगणना 1931) के पहले के जातिगत आंकड़ों को देखा है. 1931 के बाद से किसी भी जनगणना ने कभी ओबीसी की गिनती नहीं की. ऐसी संभावनाएं जताई जाती है कि साल 2021 में 90 वर्षों में पहली बार ओ.बी.सी. की गिनती की जा सकती है.
आरक्षण में बदलाव की सिफारिश को लेकर जब इस बारे में अखबार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ‘पहले उन्हें रिपोर्ट सबमिट करने दीजिए. फिर हम देखेंगे कि कैसे (जातियों का) उप-वर्गीकरण करना है.’
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