National Leaders Tribute: सरकार ने सोमवार (10 फरवरी) को राज्यसभा में जानकारी दी कि पिछले पांच सालों में किसी भी दिवंगत राष्ट्रीय नेता जिनमें पूर्व राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री शामिल हैं, उनके स्मारकों की स्थापना के लिए कोई निधि आवंटित नहीं की गई है. ये जानकारी केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू ने दी.
सरकार ने 2013 और 2014 में कैबिनेट की ओर से लिए गए फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि दिवंगत नेताओं की स्मृति में आयोजित किए जाने वाले समारोहों के लिए कुछ दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैं. मंत्री साहू के अनुसार सरकार आवश्यकतानुसार ट्रस्टों या सोसाइटियों को एकमुश्त अनुदान देने पर विचार कर सकती है. बशर्ते वे स्मारकों के लिए स्थापित किए गए हों. हालांकि ये फैसला मामले-दर-मामले आधार पर लिया जाएगा.
राष्ट्रीय नेताओं के स्मारकों पर सरकार की सख्ती
वाईएसआर कांग्रेस के सांसद परिमल नथवानी ने सरकार से ये जानने की कोशिश की कि क्या राष्ट्रीय नेताओं के स्मारकों के लिए सरकारी जमीन के आवंटन को लेकर कोई नीति है. इसके जवाब में मंत्री साहू ने स्पष्ट किया कि सरकारी दिशानिर्देशों के तहत किसी भी सरकारी बंगले को स्मारक में परिवर्तित करने या दिवंगत नेताओं की समाधि के निर्माण पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है.
सांसद नथवानी ने ये भी पूछा कि पिछले पांच सालों में सरकार की ओर से कितने स्मारकों को मंजूरी दी गई है और इसके लिए कितनी भूमि आवंटित की गई है. इसके जवाब में साहू ने कहा कि इस अवधि में किसी भी स्मारक के लिए कोई भूमि आवंटित नहीं की गई है और न ही कोई खर्च किया गया है.
प्रणब मुखर्जी और मनमोहन सिंह के स्मारक पर विचार-विमर्श जारी
हालांकि सरकार ने हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारकों के लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरू करने पर विचार किया है, लेकिन इस संबंध में अभी कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है.