Covid Home Isolation Guideline: पिछले दो सालों में भारत और पूरी दुनिया में देखा गया है कि कोविड-19 के अधिकांश मामले या तो असिम्प्टोमैटिक (Asymptomatic) हैं या इसके बहुत हल्के लक्षण हैं. ऐसे मामले आमतौर पर कम से कम हस्तक्षेप के साथ ठीक हो जाते हैं. इसलिए स्वास्थ्य मंत्रालय समय-समय पर होम आइसोलेशन के लिए दिशा-निर्देश जारी करता है. वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने हल्के और बिना लक्षण वाले कोविड-19 के मरीजों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. 

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असिम्प्टोमैटिक मामले लैबोरेटरी में पुष्ट किए गए मामले हैं जो किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं कर रहे हैं और जिनका ऑक्सीजन लेवल 93% से ज्यादा है. माइल्ड केस वो हैं जहां मरीज में अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक के लक्षण बुखार के साथ या बिना बुखार के, सांस की तकलीफ के बिना और कमरे की हवा में 93% से ज्यादा ऑक्सीजन लेवल वाले रोगी होते हैं.

सरकार ने होम आइसोलेशन के मरीजों के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं

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  • उपचार करने वाले चिकित्सा अधिकारी द्वारा रोगी को क्लीनिकली रूप से माइल्ड / असिम्प्टोमैटिक मामले की पुष्टि होनी चाहिए. 
  • ऐसे मामलों में सेल्फ आइसोलेशन और पारिवारिक संपर्कों को क्वारंटीन करने के लिए उनके घर पर अपेक्षित सुविधा होनी चाहिए.
  • मरीज की देखभाल करने वाला कोई व्यक्ति जिसने अपना COVID-19 टीकाकरण पूरा कर लिया है वो ही 24 x 7 आधार पर देखभाल करने के लिए उपलब्ध होना चाहिए.
  • 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग रोगी और को-मॉर्बिड वाले जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायाबिटिज़, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी / लिवर / गुर्दे की बीमारी, सेरेब्रोवास्कुलर रोग जैसे रोग वाले मरीज को उचित मूल्यांकन के बाद ही होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाएगी.
  • एचआईवी, ट्रांसप्लांट प्राप्तकर्ता, कैंसर चिकित्सा जैसी बीमारी से पीड़ित मरीजों को घर में आइसोलेशन की अनुमति नहीं है और इलाज करने वाले चिकित्सा अधिकारी द्वारा उचित मूल्यांकन के बाद ही उन्हें घर में आइसोलेशन की अनुमति दी जाएगी.
  • मरीज को घर के अन्य सदस्यों से खुद को अलग करना चाहिए, पहचाने गए कमरे में रहना चाहिए और घर के अन्य लोगों से दूर रहना चाहिए, विशेष रूप से बुजुर्गों और को-मॉर्बिड वाले जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी जैसे से दूर रहना चाहिए.
  • मरीज को एक हवादार कमरे में क्रॉस वेंटिलेशन और खिड़कियों के साथ रहना चाहिए ताजी हवा अंदर आने देने के लिए खुला रखा जाना चाहिए.
  • मरीज को हमेशा ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर मास्क गीला हो जाता है या दिखने में गंदा हो जाता है तो उन्हें 8 घंटे के उपयोग के बाद या उससे पहले मास्क को हटा देना चाहिए.
  • देखभाल करने वाले के कमरे में प्रवेश करने की स्थिति में, देखभाल करने वाले और रोगी दोनों ही एन-95 मास्क का उपयोग कर सकते हैं.
  • मास्क को टुकड़ों में काटकर और कम से कम 72 घंटे के लिए पेपर बैग में डालकर फेंक देना चाहिए.
  • मरीज को आराम करना चाहिए और ढेर सारे तरल पदार्थ पीने चाहिए.
  • हर समय रेस्पिरेटरी एटीक्विटस का पालन करें.
  • कम से कम 40 सेकंड के लिए साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना या अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइज़र से साफ करना.
  • मरीज घर के अन्य लोगों के साथ बर्तन सहित व्यक्तिगत सामान साझा नहीं करेंगे.
  • कमरे में बार-बार छुई जाने वाली सतहों जैसे टेबलटॉप, डोर नॉब्स, हैंडल आदि की साबुन/डिटर्जेंट और पानी से सफाई सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. मास्क और दस्ताने के उपयोग जैसी आवश्यक सावधानियों का पालन करते हुए या तो मरीज या देखभाल करने वाले द्वारा सफाई की जा सकती है.
  • रोगी के लिए पल्स ऑक्सीमीटर के साथ  ऑक्सीजन सेचुरेशन की सेल्फ मॉनिटरिंग की सलाह दी जाती है.

रोगी को रोजाना तापमान निगरानी के साथ अपने स्वास्थ्य की सेल्फ मॉनिटरिंग करनी चाहिए और किसी भी लक्षण के बिगड़ने पर तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए. स्थिति को इलाज करने वाले चिकित्सा अधिकारी के साथ-साथ निगरानी टीमों / कंट्रोल रूम के साथ साझा किया जाएगा.

हल्के/बिना लक्षण वाले रोगियों का होम आइसोलेशन में उपचार के दिशा निर्देश

  • मरीजों को एक इलाज करने वाले चिकित्सा अधिकारी के साथ संवाद में होना चाहिए और किसी भी गिरावट के मामले में तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए.
  • उपचार करने वाले चिकित्सा अधिकारी से परामर्श करने के बाद रोगी को अन्य सह-रुग्णताओं/बीमारी के लिए दवाएं जारी रखनी चाहिए.
  • रोगी जिला/राज्य द्वारा उपलब्ध कराए गए टेली-परामर्श प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकते हैं
  • मरीजों को आवश्यकतानुसार बुखार, बहती नाक और खांसी के लिए सिम्प्टोमैटिक मैनेजमेंट का पालन करना चाहिए.
  • रोगी गर्म पानी से गरारे कर सकते हैं या दिन में तीन बार भाप ले सकते हैं.
  • यदि दिन में चार बार टैब पैरासिटामोल 650 मिलीग्राम की अधिकतम डोज से बुखार नियंत्रित नहीं होता है, तो इलाज करने वाले डॉक्टर से परामर्श लें.
  • सेल्फ मेडिकेशन जैसे -दवा, ब्लड टेस्ट या छाती एक्स रे जैसी रेडियोलॉजिकल इमेजिंग के लिए जल्दबाजी न करें
  • आपके इलाज करने वाले चिकित्सा अधिकारी के परामर्श के बिना छाती का सीटी स्कैन ना करें.
  • हल्के रोग में स्टेरॉयड का संकेत नहीं दिया जाता है और इसे खुद नहीं किया जाना चाहिए. अति प्रयोग और स्टेरॉयड के अनुचित उपयोग से अतिरिक्त जटिलताएं हो सकती हैं.
  • संबंधित रोगी की विशिष्ट स्थिति के अनुसार प्रत्येक रोगी के उपचार की व्यक्तिगत रूप से निगरानी की जानी चाहिए और इसलिए नुस्खे के सामान्य साझाकरण से बचा जाना चाहिए.
  • ऑक्सीजन का स्तर गिरन या सांस में तकलीफ होने के मामले में, व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती किए जाने की आवश्यकता हो सकती है. ऐसी स्थिति में अपने इलाज करने वाले चिकित्सा अधिकारी/निगरानी दल/कंट्रोल रूम से तत्काल चर्चा कर लेनी चाहिए.

चिकित्सा कब शुरू करें

  • रोगी/केयरगिवर उनके स्वास्थ्य की निगरानी करते रहेंगे. गंभीर लक्षण या लक्षण विकसित होने पर तत्काल चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए.
  • सांस लेने में दिक्कत हो
  • ऑक्सीजन लेवल में कमी यानी SpO2 93% कमरे की हवा पर 1 घंटे के अंदर कम से कम 3 रीडिंग 
  • सीने में लगातार दर्द/दबाव,
  • मानसिक भ्रम या उत्तेजित करने में असमर्थता,
  • गंभीर थकान और myalgia

होम आइसोलेशन कब बंद करें

  • कम से कम 7 दिन पॉजिटिव टेस्ट और लगातार 3 दिनों तक बुखार नहीं होने के बाद आइसोलेशन समाप्त हो जाएगा और वो मास्क पहनना जारी रखेंगे
  • होम आइसोलेशन की अवधि समाप्त होने के बाद पुन: परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है.
  • असिम्प्टोमैटिक संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क को घरेलू संगरोध में कोविड परीक्षण और स्वास्थ्य की निगरानी करने की आवश्यकता नहीं है.