Politics On Gyanvapi Dispute: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में आज तीसरे और अंतिम दिन का सर्वे का काम पूरा कर लिया गया. अब कल यानी 17 मई को कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी जाएगी. हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिला है. वहीं मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को खारिज कर दिया. शिवलिंग मिलने के दावे के साथ हिंदू पक्ष कोर्ट पहुंच गया. इसपर वाराणसी की अदालत ने उस जगह को तत्काल प्रभाव से सील कर देने का आदेश दिया है. इसी बीच इस मामले को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. 

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जो दिसंबर 1949 में बाबरी मस्जिद में हुआ उसे दोहराया जा रहा है. ये आदेश मस्जिद के धार्मिक स्वरूप को बदल देता है. ये 1991 के एक्ट का उल्लंघन है. मेरी आशंका यही थी और ये सच हो गया है, ज्ञानवापी मस्जिद फैसले के दिन तक मस्जिद थी और रहेगी, इंशाअल्लाह. 

गिरिराज सिंह बोले देश कानून से चलता है, तुष्टिकरण से नहीं वहीं असदुद्दीन ओवैसी पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि मुझे लगता था कि ओवैसी साहब को कानून का ज्ञान होगा. मैं कहना चाहता हूं कि देश तुष्टिकरण से नहीं कानून से चलता है. मस्जिद के बारे में फैसला कोर्ट को करना है. यह सब जानते हैं कि औरंगजेब आक्रांता था और उसके कृत्य के निशान सब जगह हैं. 

विवाद के लिए पूर्व पीएम नेहरू को ठहराया जिम्मेदारगिरिराज सिंह ने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के लिए पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू को भी जिम्‍मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि बंटवारे के समय प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को चाहिए था कि आक्रांताओं की सारी निशानी मिटा देते. उन्‍होंने तुष्टिकरण की राजनीति के लिए काशी, मथुरा और अयोध्या के विवाद को बनाए रखा. उसी समय इन विवादों का निपटारा कर दिया होता तो आज सचमुच हिंदू मुस्लिम भाईचारे में रहते. 

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