नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश चुनाव के बीचोबीच देश की सबसे बड़ी अदालत के एक फैसले ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला बलात्कार के आरोपी मंत्री गायत्री प्रजापति पर को लेकर है.

खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बारे में खुलकर हमले कर रहे हैं. आज अखिलेश यादव ने रेप के आरोपी मंत्री के लिए अमेठी में वोट मांगे. गायत्री प्रजापति ने भी बड़े नाटकीय अंदाज में अखिलेश के साथ मंच साझा करने से इनकार कर दिया. गाय्त्री प्रजापति से सीएम अखिलेश अखिलेश की नाराजगी छिपी नहीं है.

गायत्री प्रजापति से अखिलेख की नाराजगी का एक छोटा सबूत इस बात से भी मिलता है कि उन्होंने अपने भाषण में एकबार भी अपने दागदार मंत्री का नाम नहीं लिया लेकिन सुर्खियों में रहे दो आपराधिक मामलों का जिक्र करके अपने मंत्री का बचाव जरूर किया.

आपको बता दें कि गैंगरेप जैसे जघन्य मामले में तुरंत मामला दर्ज करने का कानून है और आम आदमी को तो पुलिस तुरंत गिरफ्तार भी कर लेती है लेकिन गायत्री प्रजापति के मामले में पुलिस ने छह महीने तक मामला ही दर्ज नहीं किया. अब सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस ने परसों मामला तो दर्ज कर लिया लेकिन अब तक वो गायत्री प्रजापति के पास पूछताछ के लिए भी नहीं पहुंची है.

इधर गायत्री ने भी सुप्रीम कोर्ट अपनी गिरफ्तारी रोकने की अर्जी लगाई है. गायत्री ने सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी का आदेश का भी वापस लेने की गुहार लगाई है. अभी कोर्ट में मामला सिर्फ फाइल हुआ है. इस पर सुनवाई बोनी बाकी है.

सियासत के इसी दिलचस्प मोड़ पर सवाल उठता है कि क्या गैंगरेप के आरोपी उम्मीदवार के साथ मंच साझा करना और उसका नाम नहीं लेने भर से सीएम अखिलेश यादव की जिम्मेदारी पूरी हो गई ?

गायत्री प्रजापति के लिए रैली करके अखिलेश अपने ही काम बोलता है नारे पर सवाल उठा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी भी अखिलेश को इस मुद्दे पर घेर चुके हैं. प्रधानमंत्री ने तो यहां तक कहा कि यूपी में काम नहीं कारनामा बोलता है.