नई दिल्ली: गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता हैं. माना जाता है कि गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति के सारे विघ्न दूर हो जाते है. पुराणों के अनुसार गणेश जी की पूजा करने मात्र से ही सारे देवी-देवताओं की पूजा हो जाती है. इस साल 13 सितंबर को पूरे देश में गणेश चतुर्थी मनाई जाने वाली है. गणेश चतुर्थी को शिवा चतुर्थी और कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है. गणेश चतुर्थी को पूरे उत्साह के साथ 10 दिन तक मनाया जाता है. इस साल गणेश चतुर्थी 13 से 23 सितंबर तक मनाई जाने वाली है. गणेश चतुर्थी के दिन से शुरू होने वाला ये त्यौहार अनंत चतुर्दशी तक चलता है. एबीपी न्यूज़ आपको बता रहा हैं कि कब करें और कैसे करे गणेश पूजा कि आप से साल भर खुश रहे गणेश जी.

गणेश चतुर्थी की पूजा का सही समय -सुबह 11:08 - 01:34 बजे तक गणेशजी की पूजा हो सकती है. -सुबह 11:08 - 01:34 बजे तक गणेशजी को घर में बिठा सकते हैं.

कैसे बनाएं गणेश जी की प्रतिमा

गणेश जी की प्रतिमा मिट्टी या आटे से बनाया जा सकता है. काम में बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश जी को गाय के उपले का भस्म  लगाकर बिठाएं

वैवाहिक जीवन में कोई दिक्कत आ रही हो तो पोटली में हल्दी भरकर गणेश जी की प्रतिमा पर लगाएं.

जीवन में ज्यादा बाधाएं हो तो चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर गणेश जी को लगाएं.

जीवन में ज्यादा बाधाएं हो तो गणेश जी के विनायक स्वरुप की पूजा करें.

गणेश जी का जन्म मध्याह्न में हुआ है इसलिए गणेशजी को मध्याह्न में बिठाया जाता है.

गणेश जी को बिठाने के बाद 10 दिनों तक उनकी पूजा होती है.

गणपति पूजा की सामग्री -चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं. -जल से भरा एक कलश लें. -कलश पर रखने के लिए लाल कपड़ा और नारियल लें. -लाल कपड़े को नारियल पर बांधने के लिए मौली रखें. -कलश में जल भरें. -पंचामृत बना लें. -एक जनेऊ लें. -एक पान लें. -सुपारी जरूर लें. -दूर्वा लें. -मौसमी फल लें. -इलाइची, लौंग, पंचमेवा लें. -एक दीपक लें. -घी, इत्र और सुगंध लें. -समाग्री को एक थाली में रखें.

कैसे करें गणेश पूजा -विशेष पूजा के लिए पुरोहित की मदद लें. -गणपति पूजा के लिए उत्तर की ओर मुंह करके बैठें. -गणपति पूजा के लिए उत्तर-पूर्व में मुंह करके बैठें. -चौकी पर लाल या पीला कपड़ा डालकर गणपति जी को बिठाने के लिए आह्वान करें -आह्वान के बाद गणपति जी को आसन दें. -आसन देने के बाद गणेश जी का चरण धोएं -चरण धोने के बाद गणपति जी को जल प्रदान करें. -जल देने के बाद गणेश जी का आचमन करें. -आचमन के बाद भगवान गणपति को स्नान कराएं. -जल से स्नान कराने के बाद दूध से स्नान कराएं. -दूध से स्नान कराने के बाद दही से स्नान कराएं. -दही के बाद घी से स्नान कराएं. -घी के बाद शहद से स्नान कराएं. -शहद के बाद शक्कर से स्नान कराएं. -शक्कर के बाद सुगंधित तेल से स्नान कराएं. -सुगंधित तेल से स्नान कराने के बाद फिर से जल से स्नान कराएं. -स्नान के बाद गणेशजी को वस्त्र भेंट करें. -गणेशजी को वस्त्र के रुप में धोती, पट्टका और जनेऊ देना अच्छा होता है -वस्त्र भेंट करने के बाद गंध का अर्पण करें. -इत्र भेंट करने के बाद गणेशजी को अक्षत अर्पण करें. -अक्षत अर्पण के बाद पुष्पार्पण करें. -गणेश जी को फूलों की माला भी पहनाया जा सकता है. -गणेशजी को दूर्वा भेंट करें और सिंदूर का तिलकत करें. -धूप जलाकर गणेशजी का धूप से आरती करें. -आम की लकड़ी वाली अगरबत्ती का इस्तेमाल लाभदायक होगी. -एक थाली में पांच दीपक रखकर गणेशजी की आरती उतारें. -आरती उतारने के बाद गणेशजी को नैवेद्य दें. -पान, नारियल, सुपारी गणेशजी को भेंट करें. -नैवेद्य भेंट करने के बाद गणेशजी का प्रदक्षिणा करें. -प्रदक्षिणा करने के बाद ऊं गं गणपताय नम: का जप करें.

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