अगर आप भी शेयर मार्केट के जरिए मोटा मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपको सावधान करने वाली है. पुलिस ने वेब सीरीज मनी हाइस्ट से प्रेरित होकर ठगी करने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. साइबर अपराधियों ने सोशल मीडिया पर सीक्रेट ग्रुप बनाकर लोगों से 150 करोड़ से ज्यादा की ठगी को अंजाम दिया है. वैसे तो आरोपियों का असली नाम अर्पित, प्रभात ओर अब्बास है, लेकिन दुनिया की नजर में इन्होंने खुद को वेब सीरीज मनी हाइस्ट के प्रोफेसर, फ्रेडी और अमांडा के तौर पर पेश किया.

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आरोपियों ने जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में बेईमानी का रास्ता चुनने का फैसला किया. शुरुआत में इन्होंने कुछ चीनी नागरिकों को जाल में फंसाकर व्हाट्सऐप पर हाई रिटर्न इन्वेस्टमेंट नाम से ग्रुप बनाया. हाई रिटर्न के लालच में लोगों ने शेयर मार्केट में भारी निवेश किया, लेकिन जब पैसे निकालने की बारी आई तो इन्होंने उनके अकाउंट ब्लॉक कर दिए. पुलिस के मुताबिक इन लोगों ने देश भर के 300 से ज्यादा लोगों के साथ ऑनलाइन ठगी की है.

स्टॉक मार्केट के टिप्स देने के बहाने लोगों को फंसायापुलिस की जांच में पता चला है कि अर्पित ने सीक्रेट ग्रुप में अपना नाम प्रोफेसर रखा हुआ था, जो पेशे से वकील है. प्रभात वाजपेयी ने MCA की पढ़ाई की है. अब्बास बैंक अकाउंट समेत सिम कार्ड मुहैया करने का काम करता था. पुलिस को जांच में ये भी पता चला की इन्हीं लोगों ने देश में 23 करोड़ के डिजिटल अरेस्ट की वारदात को अंजाम दिया था. एक शिकायत के मुताबिक ठगों ने खुद को एक मशहूर फाइनेंशियल कंपनी का प्रतिनिधि बताकर एक शख्स को 21.77 लाख का चूना लगाया था. मामले को लेकर पीड़ित ने जैसे ही साइबर पुलिस में शिकायत दी जांच टीम ने तुरंत टेक्निकल एनालिसिस शुरू किया. बैंक ट्रांजैक्शंस, कॉल डिटेल्स और IP लॉग्स के जरिए पुलिस ने ठगों की लोकेशन नोएडा, उत्तर प्रदेश और गुवाहाटी तक ट्रेस किया, जिसके बाद पुलिस को 150 करोड़ की साइबर ठगी के बारे में पता चला.

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पुलिस ने की छापेमारीगिरफ्तारी के बाद पुलिस ने नोएडा और सिलीगुड़ी में छापेमारी की. पुलिस ने भारी मात्रा में डिजिटल सबूत बरामद किया, जिनमें 11 मोबाइल फोन, 17 सिम कार्ड, 12 बैंक पासबुक/चेक बुक, 32 डेबिट कार्ड और कई व्हाट्सऐप चैट और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के स्क्रीनशॉट पुलिस को मिले हैं. पुलिस के मुताबिक आरोपी Secure the Game और Pintoss नाम के सीक्रेट व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए काम करते थे. पुलिस से बचने के लिए आरोपी आलीशान होटल का इस्तेमाल करते थे, जहां से  बैठकर वे लोग मोबाइल के जरिए पूरे साइबर क्राइम के गेम को अंजाम देते थे.

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