AS Dulat on Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में आतंकी हमले को लेकर पूर्व रॉ चीफ अमरजीत सिंह दुलत (ए.एस. दुलत) ने एक बड़ा बयान दिया है. पूर्व रॉ चीफ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले के बाद से देश में आतंकवादियों के खिलाफ उग्र विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और लोग पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने की बात कर रहे हैं, लेकिन ऐसे उग्र राष्ट्रवादी मांगों के बावजूद भारत के लिए युद्ध कोई विकल्प नहीं है.
बेंगलुरु में द हिंदू से बात करते हुए पूर्व रॉ चीफ ए.एस. दुलत ने कहा, "मैंने हमेशा यह माना है कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है. उम्मीद करते हैं कि युद्ध न हो और अगर बात युद्ध तक पहुंच भी जाती है तो भी यह केवल आखिरी विकल्प नहीं, बल्कि सबसे बुरा आखिरी विकल्प होगा. इसके अलावा कोई भी देश युद्ध का खर्च नहीं उठा सकता है."
युद्ध के अलावा क्या है विकल्प?
एएस दुलत से पूछा गया कि पाकिस्तान पर ऐसे हमलों के खिलाफ एक प्रभावी प्रतिरोधक रणनीति के तहत भारत सरकार के मौजूद अन्य विकल्प क्या है? इस पर उन्होंने कहा कि यह फैसला तो सरकार को ही करना है. लेकिन ऐसी कोई भी रणनीति सुरक्षा बढ़ाते हुए और इस बात को सुनिश्चित करते हुए भी बनाई जा सकती है, जिससे कश्मीरी लोग भी खुश हो और हमारा साथ दें. उन्होंने आगे कहा, "मैं इस बात पर प्रधानमंत्री से सहमत हूं जब वे कहते हैं कि इस आतंकी हमले के दोषियों को ढूंढा जाना चाहिए और सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए. तो हमें उन्हें ढूंढने दीजिए."
जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे को लेकर पूर्व रॉ चीफ
इसके अलावा पूर्व रॉ चीफ एएस दुलत ने कश्मीरी लोगों को साथ लेकर चलने की बात पर जोर दिया और आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार की ओर से इलाके में की गई कुछ कार्रवाइयों को लेकर भी चिंता व्यक्त की.
उन्होंने कहा, "इस समय कश्मीर में हर कोई पूरी तरह से एकजुट होकर खड़ा हैं और कश्मीर के सभी नेताओं ने भी ये बात कही है कि वे दिल्ली के साथ हैं. यह एक अनोखा अवसर है जिसे गंवाना नहीं चाहिए. कश्मीर में पिछले दिनों में जो कुछ भी हुआ है उसके लिए किसी भी स्थानीय कश्मीरी को परेशानी नहीं होनी चाहिए. लेकिन धीरे-धीरे इस ओर चिंता बढ़ रही है.”
वहीं, मीरवाइज उमर फारूक और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इसे लेकर बयान दिया है कि इस मामले में स्थानीय लोगों को निशाना न बनाया जाए. इस तरह से कश्मीरी लोगों के घरों को तोड़ने की घटनाएं मेरे लिए भी चिंता का विषय हैं." उन्होंने इस बाद का भी सुझाव दिया कि कश्मीर के लोगों के विश्वास बहाली के कदम के रूप में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य के दर्जे को फिर से बहाल करने का यह एक सबसे उपयुक्त समय है.
कश्मीरियों के साथ लेकर भारत सरकार ले फैसला
उन्होंने कहा, “जो भी भारत सरकार करे, उसे स्थानीय कश्मीरी को साथ लेकर करना चाहिए. ऐसे में जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देना का ख्याल बुरा नहीं है. वहां की चुनी हुई सरकार का समर्थन किया जाना चाहिए और उस पर भरोसा करना चाहिए.”
उन्होंने आगे कहा, “यह बात पूरी तरह से साफ है कि कश्मीर में आतंकवाद अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और इसलिए केंद्रशासित प्रदेश में पर्यटन को सामान्य स्थिति मान लेना गलत है. हां, हिंसा में कुछ हद तक कमी जरूर हुई थी, लेकिन यह घटती है और फिर से बढ़ जाती है. पिछले कुछ सालों से हमारी सशस्त्र सेनाओं पर पुंछ-राजौरी के घने जंगलों वाले इलाकों में लगातार हमले हो रहे हैं. पिछले एक साल में जम्मू क्षेत्र में भी हमलों की संख्या बढ़ी है.”