नई दिल्ली: जब अंतिम यात्रा देश के मौजूदा सबसे लोकप्रिय नेता की हो और प्रधानमंत्री जैसे पद को एक, दो बार नहीं, बल्कि तीन-तीन बार सुशोभित किया हो, जिसके चाहने वालों में विचारधारा के बंधन को तोड़ने वाले हों... ओजस्वी वक्ता रहा हो, दिल से कवि, पेशे से पत्रकार और स्वभाव से समाजसेवी रहा हो... अब जब उसकी अंतिम यात्रा होगी, आम आदमी तो आदमी, खास भी उस यात्रा में शामिल होने पर खुद को गौरान्वित समझेंगे. ऐसे में खुद का रोकना उनके लिए एक मुश्किल काम होगा... और यही वजह है कि अतीत के बड़े-बड़े इतिहास और घटनाओं को अपने कलेजे में समेटे दिल्ली में आज एक नया इतिहास दर्ज हुआ... देश का मौजूदा प्रधानमंत्री सुरक्षा की तमाम बेड़ियों को दरकिनार करते हुए अपने गुरू, अभिभावक और लोकप्रिय जननेता की अंतिम यात्रा में पैदल ही चल पड़े. इस सफर में उनके साथ पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और आम जनता का हुजूम है.
अटल बिहारी वाजपेयी की ये अंतिम यात्रा दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय मार्ग से राजघाट तक जाएगी जिसकी कुल दूरी तकरीबन 3 किलोमीटर है. अटल बिहारी वाजपेयी के पार्थिव शरीर को बीजेपी मुख्यालय से स्मृति स्थल ले जाया गया. यही अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्कार हुआ. करीब डेढ़ एकड़ जमीन पर अटल बिहारी का स्मृति स्थल यमुना किनारे बनाया जाएगा.
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