रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लेंगे चीफ जस्टिस गवई, SC/ST के आरक्षण को लेकर जानें क्या कहा
BR Gavai: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की. उन्होंने राष्ट्रपति-राज्यपाल को समयसीमा में बांधने के फैसले पर भी अपनी राय दी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई अपने छह महीने के कार्यकाल के बाद आज रविवार (23 नवंबर, 2025) को सेवानिवृत्त हो गए. उन्होंने कहा कि फिलहाल वह दिल्ली में ही रहेंगे, लेकिन उनका कोई पद लेने का इरादा नहीं है. वह आदिवासियों के लिए कुछ काम करना चाहते हैं. अपनी तरफ जूता फेंके जाने की घटना पर उन्होंने कहा कि ऐसा करने वाले वकील को माफ कर देने का विचार उनके मन में तत्काल आया.
चीफ जस्टिस की तरफ 6 अक्टूबर, 2025 को एक वकील ने जूता फेंका था. कुछ जजों और वरिष्ठ वकीलों ने इस घटना को सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को आघात पहुंचाने की कोशिश की तरह देखा था. ऐसी हरकत करने वाले वकील को माफ कर देने को गलत कहा था. अपने कार्यकाल के आखिरी दिन जब चीफ जस्टिस चुनिंदा पत्रकारों से मिले तो उनसे इस बारे में सवाल किया गया. उन्होंने कहा कि उनके मन में पहला ख्याल वकील को माफ करने का ही आया.
सोशल मीडिया का हो रहा दुरुपयोग- मुख्य न्यायाधीश
सोशल मीडिया में न्यापालिका के बारे में की जाने वाली टिप्पणियों पर सीजेआई ने कहा, ‘मैं उन्हें नहीं देखता, लेकिन जानता हूं कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग हो रहा है. कई बार जज जो नहीं कहते, वह भी सोशल मीडिया में उनके मुंह से कहलवा दिया जाता है. AI से वीडियो बनाकर मेरी तरफ जूता आते भी दिखा दिया गया. अब तक कोर्ट ने इन बातों की उपेक्षा की है, लेकिन मुझे नहीं पता कि आने वाले समय में कोर्ट इस विषय पर क्या करेगा!’
राष्ट्रपति-राज्यपाल को समय सीमा में बांधने के मामले पर बोले मुख्य न्यायाधीश
अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर दी गई राय को उन्होंने सुविचारित कहा. चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा, ‘बेंच के पांचों जजों का मानना था कि राज्यपाल या राष्ट्रपति को समय सीमा में बांधना सही नहीं है. संविधान में भी ऐसा नहीं लिखा. अदालत संविधान में अपनी तरफ से शब्द नहीं जोड़ सकती है.’ उन्होंने कहा, ‘हमने यह भी साफ किया है कि राज्यपाल किसी विधेयक को अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रख सकते है. बहुत ज्यादा विलंब होने पर राज्य कोर्ट आ सकते हैं.’
जस्टिस यशवंत शर्मा के केस पर टिप्पणी देने से किया इनकार
वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा कैशकांड मामले पर टिप्पणी करने से चीफ जस्टिस गवई ने मना कर दिया. उन्होंने कहा कि यह मसला अब लोकसभा की जांच समिति के विचाराधीन है. न्यायपालिका पर सरकार के दबाव पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें कभी किसी विषय पर सरकार का दबाव महसूस नहीं हुआ.
आरक्षण को लेकर क्या बोले सीजेआई गवई?
आरक्षण पर चर्चा करते हुए चीफ जस्टिस ने एक बार फिर कहा, ‘अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण में क्रीमी लेयर व्यवस्था लागू होनी चाहिए. यह एक नीतिगत मसला है. इस पर सरकार ही निर्णय ले सकती है. जो लोग आरक्षण का लाभ लेकर अच्छी स्थिति में पहुंच चुके हैं, उन्हें वास्तविक जरूरतमंदों के लिए आरक्षण छोड़ना चाहिए.’
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